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बांध में कटाव के लिए केकड़े व कछुए जिम्मेदार!

रांची: चतरा के टंडवा डैम में रिसाव व बांध में कटाव के लिए डैम में मौजूद केकड़े व कछुए जिम्मेदार हैं. बांध में कटाव होने की घटना की जांच करने वाले इंजीनियरों की टीम ने अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में इस बात का जिक्र किया है. बांध में रिसाव व कटाव की घटना 13 अगस्त […]

रांची: चतरा के टंडवा डैम में रिसाव व बांध में कटाव के लिए डैम में मौजूद केकड़े व कछुए जिम्मेदार हैं. बांध में कटाव होने की घटना की जांच करने वाले इंजीनियरों की टीम ने अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में इस बात का जिक्र किया है. बांध में रिसाव व कटाव की घटना 13 अगस्त की है. इससे तीन पंचायत टंडवा, जोगीडीह व मुनया पंचायत के खेतों में लगी फसल बरबाद हो गयी थी. सात गांवों में पानी घुस गया था. इस घटना के बाद चतरा के डीसी ने बांध कटाव व रिसाव की जांच का आदेश दिया था.
टंडवा में बांध का निर्माण वर्ष 1972 में हुआ था. रिसाव व कटाव के बाद वर्ष 2013 में बांध के जीर्णोद्धार के लिए 1.71 करोड़ रुपये की लागत से योजना बनायी गयी थी. चतरा के मेसर्स नैना इंटरप्राइजेज को काम आवंटित किया गया. 21 दिसंबर 2013 को शिड्यूल से 10 प्रतिशत कम दर पर (1.50 करोड़ रुपये) काम का एग्रीमेंट किया गया. काम समाप्त करने की अंतिम तिथि तीन जुलाई 2014 थी. ठेकेदार को अब तक 89.06 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

हालांकि विभाग ने करीब 90 प्रतिशत काम हो जाने का सर्टिफिकेट जारी कर दिया है.

डीसी के आदेश पर बांध से पानी के बहाव की जांच लघु सिंचाई प्रमंडल चतरा के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता ने की थी. जांच रिपोर्ट में इन तीनों अभियंताओं ने लिखा है कि बांध में मिट्टी का जो भी काम कराया गया है, वह जून 2014 तक का है. बांध में मिट्टी भराई का काम प्रोपर कंपैक्शन करके कराया गया है.

कंपैक्शन की जांच विभागीय क्वालिटी कंट्रोल विंग (गुण नियंत्रण प्रभाग) द्वारा काम के दौरान समय-समय पर की गयी है, जिसकी रिपोर्ट भी है. जांच रिपोर्ट के मुताबिक लघु सिंचाई विभाग में मौसमी मेट का कोई प्रावधान नहीं है. जो लगातार बांध या डैम का मुआयना कर स्थिति से अवगत कराये, लेकिन कनीय अभियंता, सहायक अभियंता और कार्यपालक अभियंता के द्वारा समय-समय पर स्थल निरीक्षण किया जाता रहा है, लेकिन बांध बनने के बाद पिछले दो साल में किसी तरह के रिसाव नहीं दिखाई पड़े. स्थानीय लोगों से बातचीत से यह बात सामने आयी है कि बांध में केकड़े व कछुए (जीव-जंतु) द्वारा इस तरह के पॉट होल्स बना दिये जाते हैं, जो इस तरह के रिसाव का कारण प्रतीत होता है.

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