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नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस सुस्त

रांची: पुलिस नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में फिलहाल दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. कोडरमा के सतगांवां में पिछले नौ दिनों से नक्सलियों का दस्ता ठहरा हुआ है, लेकिन पुलिस का कोई अभियान शुरू नहीं हुआ है. गिरिडीह के पीरटांड़ के पारसनाथ इलाके में गत 27 जनवरी को नक्सलियों ने लैंड माइन ब्लास्ट कर सीआरपीएफ […]

रांची: पुलिस नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में फिलहाल दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. कोडरमा के सतगांवां में पिछले नौ दिनों से नक्सलियों का दस्ता ठहरा हुआ है, लेकिन पुलिस का कोई अभियान शुरू नहीं हुआ है.

गिरिडीह के पीरटांड़ के पारसनाथ इलाके में गत 27 जनवरी को नक्सलियों ने लैंड माइन ब्लास्ट कर सीआरपीएफ के एक जवान की हत्या कर दी थी. इसके बावजूद पुलिस चुप रही. इसी प्रकार छह माह पहले दुमका में पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार सहित छह पुलिसकर्मियों की हत्या हो गयी थी. पर गिरफ्तारी नहीं कर सकी. इन घटनाओं से पता चलता है कि नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई कितनी सुस्त पड़ गयी है.

सतगांवा में जमे हैं नक्सली: कोडरमा के सतगांवां थाना क्षेत्र में नक्सलियों का दस्ता गत 25 जनवरी से टिका हुआ है. पुलिस को इस बात की जनकारी थी. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए झारखंड जगुआर के जवानों की तैनाती की गयी थी. जवानों को ऐसे स्थान पर तैनात किया गया था, जहां से नक्सली दस्ते को गुजरना था. लेकिन 27 जनवरी को जेजे के जवानों को वहां से हटा कर गिरिडीह भेज दिया गया. इन जवानों का सही इस्तेमाल न तो गिरिडीह में हो सका और न ही सतगांवां में. सूचना के मुताबिक नक्सली अब भी सतगांवां इलाके में ही हैं.

नहीं चला बड़ा अभियान: पीरटांड़ क्षेत्र से गत 25 जनवरी को चार लोगों के अपहरण और 27 जनवरी को पुलिस पार्टी के लैंड माइन ब्लास्ट की चपेट में आने के बाद राज्य पुलिस ने पारसनाथ इलाके में बड़ा अभियान चलाने का निर्णय लिया. अभियान में गिरिडीह के अलावा बोकारो और धनबाद की पुलिस को भी शामिल होना था, लेकिन यह अभियान चला ही नहीं. बाद में सीआरपीएफ और झारखंड जगुआर की पुलिस ने दो दिन का अभियान चलाया, लेकिन बगैर सही सूचना के अभियान शुरू होने के कारण पुलिस को इस अभियान में भी कोई सफलता नहीं मिली.

क्यों जरूरी है नक्सल विरोधी अभियान

राज्य गठन के बाद अब तक 4209 नक्सली घटनाएं हो चुकी हैं.

राज्य गठन के बाद अब तक 435 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं.

राज्य गठन के बाद अब तक 1402 आम लोग मारे जा चुके हैं.

चतरा, पलामू, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, गढ़वा, गिरिडीह, लोहरदगा व खूंटी का शहरी व ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभावित है.

11 जिला रांची, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर, चाईबासा, सरायकेला, दुमका व पाकुड़ का ग्रामीण इलाका नक्सल प्रभावित है.

चार जिलों देवघर, जामताड़ा, गोड्डा व साहेबगंज जिला के ग्रामीण इलाकों में नक्सली गतिविधि जारी है.

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