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जीएसटी: बैठक में शामिल हुए सीपी सिंह, एक अप्रैल से जीएसटी लागू करने की तैयारी

रांची : झारखंड सरकार एक अप्रैल 2017 से राज्य में जीएसटी बिल (वस्तु एवं सेवा कर) लागू करने की तैयारी कर रही है. यह बात राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने नयी दिल्ली में आयोजित जीएसटी कौंसिल की पहली बैठक में कही. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में 22 व 23 […]

रांची : झारखंड सरकार एक अप्रैल 2017 से राज्य में जीएसटी बिल (वस्तु एवं सेवा कर) लागू करने की तैयारी कर रही है. यह बात राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने नयी दिल्ली में आयोजित जीएसटी कौंसिल की पहली बैठक में कही. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में 22 व 23 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक आयोजित की गयी है. सभी राज्यों के वित्त मंत्री काउंसिल के सदस्य हैं.

झारखंड सरकार की ओर से अपनी बात रखते हुए सीपी सिंह ने कहा कि जीएसटी काउंसिल सचिवालय के लिए प्रस्तावित ड्राफ्ट नियमावली से झारखंड राज्य सहमत है. झारखंड सरकार जीएसटी काउंसिल द्वारा निर्धारित टाइम टेबल के अनुसार जीएसटी की तैयारी जोर-शोर से कर रही है. राज्य ने मॉडल-2 को अपनाया है. तैयारी इस हिसाब से चल रही है कि 1.4.2017 से जीएसटी को लागू किया जा सकेगा.

श्री सिंह ने कहा कि जीएसटी प्रणाली में व्यवसायियों के निबंधन के लिए 25 लाख रुपये की सीमा रखने का राज्य सरकार समर्थन करती है, क्योंकि इससे छोटे व्यवसायियों को राहत मिलेगी. समझौता योजना में आनेवाले व्यवसायियों की सीमा 50 लाख रुपये रखने का भी झारखंड समर्थन करता है. श्री सिंह ने कहा कि यह सुविधा केवल राज्य के अंतर्गत माल का क्रय-विक्रय करनेवाले व्यवसायियों को ही देनी चाहिए. सेवा प्रदाताओं को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलना चाहिए.
श्री सिंह ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति देने के लिए जो ड्राफ्ट बिल बनाया गया है, उसमें आधार वर्ष 2015-16 को माना गया है, जबकि झारखंड राज्य का मत है कि आधार वर्ष (बेस इयर) वित्तीय वर्ष 2016-17 को माना जाये एवं प्रोजेक्टेड ग्रोथ रेट की गणना पिछले पांच वर्ष के आधार पर की जाये. श्री सिंह ने कहा कि क्षतिपूर्ति की राशि की गणना वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर करने का प्रावधान किया गया है, जबकि इस राशि का भुगतान त्रैमासिक अवधि के आधार पर राज्यों को किया जाना चाहिए एवं वर्ष के अंत में अंतिम गणना के आधार पर शेष राशि का भुगतान किया जाना चाहिए, ताकि राज्यों को विकास कार्यों के लिए संसाधनों की समस्या न हो. करदाताओं के लिए सिंगल इंटरफेस की सुविधा होनी चाहिए.

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