ये बातें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को एसडीसी सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय सेमिनार में कहीं. आयोजन वाम, धर्मनिरपेक्ष दल और विस्थापन को लेकर संघर्षरत जनसंगठनों ने किया था. श्री मरांडी ने सेमिनार में विस्थापन, जबरिया भूमि अधिग्रहण, भूमि अधिग्रहण कानून-2013 लागू करने, स्थानीयता, सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन, सांप्रदायिकता एवं दलित उत्पीड़न जैसे विषयों पर अपने विचार रखे. उन्होंने आरोप लगाया कि जब से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें बनी हैं, तब से जमीन लेने की कोशिशें तेज हुई हैं. भाजपा के सहयोगी संगठन सामाजिक समरसता बिगाड़ते हैं, लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती. जमीन और सामाजिक सदभाव को बचाये रखने के लिए जरूरी है कि हम सब एकजुटता के साथ लड़ाई लड़ें.
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सरकार उद्याेगपतियों को जमीन दे सकती है,किसानों को क्यों नहीं
रांची: सरकार जब उद्योगपतियों को जमीन दे सकती है, तो किसानों के लिए इसकी व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती? जमीन के बदले जमीन की नीति होनी चाहिए. सरकार झारखंड के गांव, किसान और गरीबों के लिए नहीं सोच रही है. उद्योगपतियों के लिए कानूनों में संशोधन कर रही है. यह संशोधन आदिवासियों और मूलवासियों के […]
रांची: सरकार जब उद्योगपतियों को जमीन दे सकती है, तो किसानों के लिए इसकी व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती? जमीन के बदले जमीन की नीति होनी चाहिए. सरकार झारखंड के गांव, किसान और गरीबों के लिए नहीं सोच रही है. उद्योगपतियों के लिए कानूनों में संशोधन कर रही है. यह संशोधन आदिवासियों और मूलवासियों के हित में नहीं है.
ये बातें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को एसडीसी सभागार में आयोजित राज्यस्तरीय सेमिनार में कहीं. आयोजन वाम, धर्मनिरपेक्ष दल और विस्थापन को लेकर संघर्षरत जनसंगठनों ने किया था. श्री मरांडी ने सेमिनार में विस्थापन, जबरिया भूमि अधिग्रहण, भूमि अधिग्रहण कानून-2013 लागू करने, स्थानीयता, सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन, सांप्रदायिकता एवं दलित उत्पीड़न जैसे विषयों पर अपने विचार रखे. उन्होंने आरोप लगाया कि जब से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें बनी हैं, तब से जमीन लेने की कोशिशें तेज हुई हैं. भाजपा के सहयोगी संगठन सामाजिक समरसता बिगाड़ते हैं, लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती. जमीन और सामाजिक सदभाव को बचाये रखने के लिए जरूरी है कि हम सब एकजुटता के साथ लड़ाई लड़ें.
मूलवासियों का नहीं प्रवासियों का है राज
पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि भाजपा के राज में आदिवासियों या मूलवासियों का नहीं, प्रवासियों का राज है. सीएनटी व एसपीटी एक्ट संविधान की नौंवी अनुसूची में है, जिसमें राज्य सरकार अध्यादेश से बदलाव नहीं ला सकती. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि राजनीतिक विपक्षी एकता आसान नहीं. इसके लिए सहभागिता की भावना जरूरी है. विकास का मॉडल पूंजीपति नहीं, बल्कि जिले के आंदोलनकारी और शिक्षाविद तय करें. राजद के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा ने कहा कि सरकार खुद आग लगा रही है. पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने कहा कि सरकार बंदूक का भय दिखा कर व्यपारियों की दलाली कर रही है. तीर-धनुष निकाल कर इसे ढकेलने की जरूरत है. पूर्व विधायक बहादुर उरांव व राजेंद्र सिंह मुंडा के अलावा अनादि ब्रह्म, केडी सिंह, माकपा के प्रकाश विप्लव, समाजवादी पार्टी के मनोहर यादव ने भी विचार रखे.
कभी घुटने नहीं टेकेगी राज्य की जनता
दयामनी बारला ने कहा कि झारखंड की जनता सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन के मामले में रघुवर सरकार के सामने घुटने नहीं टेकेगी. यहां के जनांदोलनों की ताकत विकास का रास्ता तय करेगी. आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के राजू महतो, केंद्रीय जनसंघर्ष समिति के जेरोम जेराल्ड कुजूर गणेश महतो, सैनाथ गंझू, भूतनाथ सोरेन ने भी संबोधित किया़ कार्यक्रम का संचालन वासवी ने किया. डॉ आरपी साहू, गुलफाम गिलानी, सर्जन हंसदा, स्टेन स्वामी सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
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