रांची: झारखंड में लंबे अंतराल के बाद विपक्षी पार्टियां एक प्लेटफॉर्म पर है़ं बड़कागांव से विपक्षी एकजुटता का रास्ता निकल रहा है. झाविमो नेता बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस के सुबोधकांत और राजद के गौतम सागर राणा इसमें भूमिका निभा रहे है़ं गुरुवार को बाबूलाल मरांडी, सुबोधकांत सहाय, गौतम सागर राणा और विधायक निर्मला देवी बड़कागांव गिरफ्तारी देने पहुंचे़ विपक्षी दलों ने मिल कर रणनीति बनायी़ बड़कागांव के आंदोलन ने विपक्ष के नेताओं के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी चार्ज कर दिया है़ .
रांची से लेकर हजारीबाग तक कार्यकर्ताओं का हुजूम बड़कागांव पहुंचा़ नेताओं के काफिले के साथ कार्यकर्ता जुड़ते गये़ जगह-जगह नेताओें का स्वागत हुआ. लंबे समय के बाद विपक्षी कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखा़ हाल के दिनों में झाविमो-कांग्रेस के बीच नजदकियां बढ़ी है़ं सुबोधकांत सहाय सक्रिय है़ं राजद-जदयू भी साथ है़ राजद नेता गौतम सागर राणा वाम मोरचा को साथ लेकर चलने में भूमिका निभा रहे है़ं विपक्षी कुनबे में बनते नये समीकरण से फिलहाल झामुमो दूर है़ वह परिस्थिति को भांप रहा है़ झामुमो ने बड़कागांव के आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया़.
झाविमो-झामुमो में है आधार की लड़ाई
विपक्षी खेमे में आगे भविष्य का खाका क्या होगा, इसको लेकर मंथन चल रहा है़ झाविमो, झामुमो के साथ आने को लेकर असमंजस की स्थिति में है़ दोनों के राजनीतिक आधार की लड़ाई है़ संताल परगना में दोनों की राजनीति टकरा रही है़ इन दोनों के बीच से आगे किसी तरह के गंठबंधन का रास्ता निकलना आसान नहीं होगा़
कांग्रेस को लेना होगा निर्णय
कांग्रेस के अंदर झाविमो व झामुमो के साथ रिश्ते को लेकर एक मत नहीं है़ कांग्रेस के नेता अपने राजनीतिक नफा-नुकसान के आधार पर दलों के साथ गंठबंधन का प्लॉट तैयार करते है़ं कांग्रेस के अंदर एक खेमा है, जो झाविमो की जगह झामुमो के साथ जाना पसंद करता है़ हालांकि कांग्रेस में सबकुछ केंद्रीय नेतृत्व से तय होना है़ केंद्रीय नेतृत्व के फरमान पर ही कांग्रेस में गंठबंधन की भूमिका तैयार होगी़