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पंचायतें सशक्त होंगी, तो देश आगे बढ़ेगा

सुअवसर. राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने पंचायतनामा का लोकार्पण किया, कहा पंचायतों के सशक्त होने से ही देश आगे बढ़ेगा. हमारा देश गांवों का है. पंचायतों का देश कहना भी भूल नहीं होगी. यहां एक-एक पंचायत से गांव के लोग जुड़े हैं, लेकिन आज भी पंचायत प्रतिनिधियों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है़ […]

सुअवसर. राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने पंचायतनामा का लोकार्पण किया, कहा
पंचायतों के सशक्त होने से ही देश आगे बढ़ेगा. हमारा देश गांवों का है. पंचायतों का देश कहना भी भूल नहीं होगी. यहां एक-एक पंचायत से गांव के लोग जुड़े हैं, लेकिन आज भी पंचायत प्रतिनिधियों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है़ उक्त बातें झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कही़ श्रीमती मुरमू ने शनिवार को राजभवन में प्रभात खबर समूह प्रकाशन के पाक्षिक अखबार पंचायतनाम के लोकार्पण समाराेह में बाेल रही थीं.
रांची : पंचायतनामा का लोकार्पण करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि यह अखबार पंचायतों की आवाज बने़ पंचायत एक ऐसी यूनिट है, जिससे गांव के हरेक लोग सीधे लाभ से जुड़े हुए हैं. गांवों के लोगों को पंचायत प्रतिनिधियों से भी आशाएं हैं. देश की संसदीय व्यवस्था में पंचायतों का रोल काफी बढ़ जाता है. साथ ही पंचायतनामा की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं. पंचायत प्रतिनिधियों को उनके अधिकार के बारे में जानकारी जरूरी है, ताकि इसका लाभ लोगों तक पहुंचे.
गांवों की ज्यादा से ज्यादा खबरें हों : प्रयास यह रहे कि पंचायतनामा अखबार हर पंचायतों तक पहुंचे. इस अखबार में सरकारी योजनाओं के अलावा कृषि से संबंधित खबरें भी रहें, क्योंकि देखा जाता है कि अखबार शहर की खबरों तक ही सीमित रह जाता है, गांवों की खबरें ज्यादा नहीं होती हैं.
यूं कहें कि 90 प्रतिशत खबर शहर पर ही केंद्रित होती है. मात्र 10 प्रतिशत खबर गांवों की होती है. गांवों की ज्यादा से ज्यादा खबरें हों, ऐसा प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है. यहां शैक्षणिक स्तर के साथ-साथ सामाजिक विकास को भी समझना होगा.
योजनाओं का प्रखंड व पंचायत स्तर पर हो डिसप्ले : राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा गांवों में चलायी जा रही योजनाओं के बारे में प्रखंड व पंचायत कार्यालयों में डिसप्ले हो. गांवों में क्या-क्या योजनाएं चल रही हैं, उसकी सूची डिसप्ले की जाये, ताकि इसकी जानकारी ग्रामीणों को मिल सके.
गांवों में हो रहे नये प्रयोगों काे आगे लाने की कोशिश : इससे पूर्व प्रभात खबर के प्रबंध निदेशक केके गोयनका ने अतिथियाें का स्वागत किया आैर पंचायतनामा के बारे में जानकारी भी दी. उन्हाेंने कहा : भारत सरकार ने भी पंचायताें पर खास फाेकस किया है. वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने इस माैके पर कहा कि चुनाव में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है. चुनाव मैदान में हार्वर्ड से पढ़े युवक भी आ रहे हैं. यह देश के लिए अच्छा संकेत है. देश को एक नया नेतृत्व मिलेगा. पंचायतनामा के जरिये कोशिश होगी कि गांवों में हो रहे नये प्रयोगों काे आगे लाया जाये, क्योंकि रूरल इकोनॉमी नहीं बढ़ेगी, तो देश आगे नहीं बढ़ेगा.
पंचायतनामा के बारे में
पंचायतनामा पूरे उत्तर भारत में हिंदी का पहला ऐसा पाक्षिक अखबार है, जो पंचायत प्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहियाओं, सहायिकाओं, किसानों व ग्रामीण नवयुवकों से संबंधित खबरों को ही खास तौर पर फोकस करता है. पंचायतनामा का पहला अंक 24 पन्नों का है, इसका आकार टेबलायड है. इसकेसभी पन्ने रंगीन हैं. आमलोगों के लिए यह सहज ढंग से उपलब्ध हो, इसके लिए इसका मूल्य मात्र दो रुपये रखा गया है.
कार्यक्रम में ये अतिथि हुए शामिल
कार्यक्रम में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सत्पथी, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एनएन सिन्हा, पद्मश्री अशोक भगत, खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, प्रभात खबर के कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता, प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा, रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय, महिला आयोग की अध्यक्ष महुआ माजी, विकास सिंह, पुनीत पोद्दार, पंकज पोद्दार, गणेश रेड्डी, सूचना आयुक्त हिमांशु चौधरी, विष्णु राजगढ़िया, निरंजन शर्मा आदि मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन प्रभात खबर के विनय भूषण ने किया व धन्यवाद ज्ञापन पंचायतनामा के संपादक संजय मिश्र ने किया.
पंचायत प्रतिनिधियों को करूंगा मोटिवेट : सीएम
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पंचायती राज के सवालों को लेकर पहली बार प्रभात खबर समूह प्रकाशन के नये पाक्षिक अखबार पंचायतनामा को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों को मोटिवेशन की जरूरत है. मोटिवेशन के अभाव में पंचायत प्रतिनिधि वह नहीं कर पा रहे हैं, जिसकी अपेक्षा गांव की जनता उनसे कर रही है. दो महीने के बाद जब पंचायत के सचिवालय काम करने लगेंगे, तो वे खुद पंचायत प्रतिनिधियों को मोटिवेट करने का काम शुरू करेंगे.
श्री दास ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण और मोटिवेशन के लिए जो भी संसाधन चाहिए, उसे उनकी सरकार उपलब्ध करायेगी. उनकी सरकार की पंचायत सचिवालय बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है. बगैर सचिवालय के पंचायत प्रतिनिधियों का काम प्रभावी नहीं हो सकता है.
जैसे मुख्यमंत्री के लिए सचिवालय है, वैसे ही मुखिया के लिए भी एक सचिवालय हो. इसी सोच के तहत हमारी सरकार काम कर ही है. जिला परिषद को अब विकास योजनाओं के लिए क्यों राशि नहीं मिल रही है? इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया : जिला परिषद अध्यक्षों के प्रतिनिधिमंडल ने मुझे अपनी समस्याएं बतायी हैं. मैं उनकी समस्याओं से परिचित हूं. मैंने अधिकारियों से कहा है कि झारखंड वित्त आयोग से बात करके पंचायतों को मिलने वाली राशि का कम से कम 20 प्रतिशत राशि जिला परिषद को देने का इंतजाम करें.
प्रभात खबर को बतायी चुनौतियां और योजनाएं
मुख्यमंत्री ने पंचायतीराज को लेकर अपने सपने, उनकी चुनौतियों व योजनाओं पर अपने इंटरव्यू में और क्या-क्या बताया, जानने के लिए पंचायतनामा के 16 जुलाई से 31 जुलाई वाले अंक पढ़ें. इस अंक में ही खास होगा कि कैसे झारखंड राज्य आजीविका मिशन ने गांवों में पशु सखियों को तैयार किया है. कैसे सीमित अधिकारों का ही उपयोग करके मुखिया व पंचायतीराज प्रतिनिधियों की पहल से पंचायतों की सूरत बदल रही है.

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