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प्रभात खबर में छपे रेप के आंकड़ों पर कोर्ट गंभीर

।।मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को नोटिस।। रांचीः हाइकोर्ट ने प्रभात खबर में छपी दुष्कर्म से संबंधित खबर व आंकड़ों पर मुख्य सचिव, गृह सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने प्रकाशित आंकड़ों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में बदल दिया. चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया और न्यायमूर्ति पीपी […]

।।मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को नोटिस।।
रांचीः हाइकोर्ट ने प्रभात खबर में छपी दुष्कर्म से संबंधित खबर व आंकड़ों पर मुख्य सचिव, गृह सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने प्रकाशित आंकड़ों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में बदल दिया. चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया और न्यायमूर्ति पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी से दुष्कर्म के मामलों में दर्ज प्राथमिकी और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए की गयी कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट
मांगी है.

प्रभात खबर में 26 अप्रैल को डोरंडा में बच्ची से दुष्कर्म की खबर के साथ राज्य में पिछले दिनों हुए दुष्कर्म की 14 घटनाओं का आंकड़ा दिया गया था. कोर्ट ने इन 14 घटनाओं में अब तक कोई कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर प्रशासनिक रवैये पर नाराजगी जतायी. इन मामलों में स्पीडी ट्रायल चलाने का निर्देश दिया, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जा सके.

अगली सुनवाई 30 अप्रैल
खंडपीठ ने अधिकारियों से पूछा है कि 16 दिसंबर को दिल्ली में हुई घटना के बाद कानून में बदलाव किया गया. बदलाव के अनुरूप झारखंड में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कौन- कौन से कदम उठाये गये. खंडपीठ ने मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को शपथ पत्र के माध्यम से उठाये गये कदम व अन्य कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया है.

खंडपीठ ने कहा : इस तरह के मामलों में दोषी व्यक्तियों को सिर्फ सजा देकर पीड़िता के दुख को कंपनसेट नहीं किया जा सकता है. इस तरह ही घटना से पीड़िता की जिंदगी बरबाद हो जाती है. इसलिए इन घटनाओं को रोकना ही एक मात्र उपाय है. मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.

अधिकारियों से पूछा
दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गयी
16 दिसंबर को दिल्ली में हुई घटना के बाद राज्य में क्या-क्या कदम उठाये गये

क्या कहा कोर्ट ने
प्रभात खबर में दुष्कर्म की घटनाओं का दिया गया ब्योरा आंकड़ों की उपलब्धता के आधार पर है. इस तरह के और भी मामले होंगे, जिन्हें दबा दिया गया होगा. मीडिया में एक पीड़िता को दो हजार देकर मामले को रफा-दफा करने से संबंधित खबरें भी प्रकाशित हुई थी. झारखंड में काफी लोग गरीब और अशिक्षित हैं. ऐसी स्थिति में बहुत लोगों को अधिकारियों तक पहुंच कर शिकायत करने की हिम्मत नहीं होगी. इसके मद्देनजर कोर्ट छपी खबरों पर संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में तब्दील करता है.

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