यह पहाड़ी 500 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुरानी है. प्राकृतिक रूप से ये चट्टानें कट कर मिट्टी में परिवर्तित हो चुकी हैं. यदि इस चट्टान में किसी प्रकार का निर्माण कार्य कर भार दिया गया, तो भूस्खलन हो सकता है. इससे पहाड़ी के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है. निरीक्षण के दौरान श्री प्रियदर्शी ने पाया कि पहाड़ी में जगह-जगह गहरा गड्ढा हो गया है.पहाड़ी के भीतरी हिस्से से मिट्टी का तेजी से कटाव हो रहा है.
उन्होंने कहा कि पहाड़ी ऐतिहासिक धरोहर है़ इसे मूल स्वरूप में ही रहने दिया जाये, तो बेहतर होगा. निरीक्षण के दौरान पहाड़ी मंदिर विकास संघर्ष समिति के सदस्य अमृत रजक, शशिकांत तिवारी, प्रमोद सिन्हा, ब्रजेश कुमार, ओमप्रकाश दुबे,सुजीत सिंह, उमेश यादव, अंकित कुमार, भोलू सिंह, सुशीत यादव, कुलदीप कुमार, मंजीत सिंह, विजय ठाकुर, अमित कुमार, पिंटू, नरेश कुमार आदि मौजूद थे.