ग्रामीण विकास विभाग के तहत पंचायती राज प्रभाग ने सभी जिलों के उप विकास अायुक्त (डीडीसी) से कहा था कि वह बालू घाटों की नीलामी से मिली राशि पंचायतों के खाते में जमा करें.
यह सूचना प्रखंडों व पंचायतों को भी देने को कहा गया था. निदेशक सह अपर सचिव पंचायती राज शिवेंद्र सिंह ने लिखा था कि यह राशि खर्च करने के लिए प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति का अधिकार ग्रामीण विकास विभाग के संकल्प 1355 के अनुसार होगा. दरअसल बालू घाट, सैरात, किराया व कर से मिलने वाली राशि पंचायतों के अॉन सोर्स अॉफ रेवन्यू (अपना आय स्रोत) की तरह है, जो पंचायतों के लिए महत्वपूर्ण है. इस राशि के लेखा-जोखा के लिए पंचायतों को आय के इन स्रोतों से प्राप्त राशि व खर्च का हिसाब-किताब अलग से रखने को कहा गया है. यह राशि किन-किन मद में खर्च की जा सकती है, इसके निर्देश भी जिलों को दिये गये हैं. यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इससे वैसी योजनाएं या विकास कार्य नहीं किये जा सकते हैं, जिसके लिए पहले से केंद्र या किसी अन्य मद से पैसे मिलते रहे हों.