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झारखंड को भी मिले विशेष राज्य का दर्जा : नीतीश
रांची: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार ही नहीं झारखंड को भी विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. वे सोमवार को सहजानंद चौक स्थित बैंक्वेट हॉल में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. ‘झारखंड की मूलभूत समस्या भूमि अधिग्रहण, विस्थापन एवं पुनर्वास’ विषय पर इस संगोष्ठी का आयोजन झाविमो और जदयू […]
रांची: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार ही नहीं झारखंड को भी विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. वे सोमवार को सहजानंद चौक स्थित बैंक्वेट हॉल में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. ‘झारखंड की मूलभूत समस्या भूमि अधिग्रहण, विस्थापन एवं पुनर्वास’ विषय पर इस संगोष्ठी का आयोजन झाविमो और जदयू ने संयुक्त रूप से किया था.
नीतीश कुमार ने कहा : मैं व्यक्तिगत रूप से झारखंड गठन का हिमायती रहा हूं. राज्य अलग होने से संबंध खत्म नहीं हो जाता है. दोनों राज्यों का भावनात्मक रिश्ता है. खराब लगता है कि 16 साल बाद भी कुछ मुद्दे यथावत हैं. मैंने ऑफर किया कि ये मुद्दे मिल-बैठ कर तय कर लेना चाहिए. पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् के हस्तक्षेप के बाद भी कुछ मुद्दे नहीं सुलझे. अब नये सिरे से पहल शुरू की गयी है.
कार्यक्रम का संचालन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो व अध्यक्षता झाविमो के उपाध्यक्ष सबा अहमद ने की. संगोष्ठी में सुधार चौधरी, मिस्त्री सोरेन, केके पोद्दार, रामचंद्र केशरी, अभय सिंह, सुनील साहू, लक्ष्मण स्वर्णकार, अशोक चौधरी, राजीव रंजन मिश्रा आदि मौजूद थे़
झारखंड के नक्शे पर अर्जुन मुंडा से भी हुई थी बात
नीतीश कुमार ने कहा कि झारखंड के नक्शे पर यहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से मिले थे. इस विवाद को सुलझाने का प्रयास किया गया, लेकिन हल नहीं निकल पाया. झारखंड सरकार की ओर से मूल नक्शा के लिए नहीं, बल्कि इसकी फोटो और डिजिटल कॉपी के लिए प्रयास किया जा रहा था. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के साथ उनकी विस्तार से बातचीत हुई और झारखंड को नक्शा देने का निर्णय लिया गया. हमारा सोच और रवैया भिन्न है. तकरार का रवैया नहीं है. मिल-जुल कर ही समस्या का समाधान होगा. दोनों राज्यों के मुख्य सचिव बैठ कर इस संबंध में निर्णय लेंगे.
झारखंड में गठित हो पुनर्वास आयोग
नीतीश कुमार ने कहा भूमि अधिग्रहण, विस्थापन एवं पुनर्वास झारखंड की गंभीर समस्या है. एक अनुमान के तहत यहां पर 80 लाख से लेकर एक करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं. वर्षों बीत जाने के बाद भी इन्हें न्याय नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि राज्य के अादिवासी, दलित, मूलवासी को एक जुट होकर लड़ाई लड़ें, मेरी ओर से आपको पूरा समर्थन मिलेगा. इस समस्या के समाधान को लेकर पुनर्वास आयोग का गठन होना चाहिए. आयोग को अधिकार संपन्न होना चाहिए, ताकि सरकार उसकी अनुशंसा लागू करने के लिए बाध्य हो.
झारखंड में बाबूलाल के नेतृत्व में बनायें सरकार
नीतीश ने कहा कि नक्शा विवाद का समाधान होने पर क्या धन्यवाद नहीं मिलना चाहिए? बाबूलाल जी क्या मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं? झारखंड बना था तो यही मुख्यमंत्री बने थे. आज झारखंड ऊंचाइयों पर चढ़ने की बजाय लुढ़कता जा रहा है. झारखंड को फिर से ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सरकार बनना होगा. बाबूलाल मरांडी न सिर्फ विपक्ष की बल्कि झारखंड की आवाज हैं.
किसानों की सहमति से ली जाये जमीन : नीतीश ने कहा कि बिहार सरकार ने जमीनों के लिए मिनिमम वैल्यू रजिस्टर तैयार किया है. किसानों की सहमति से लीज पर जमीन लेने की नीति बनानी चाहिए. बिहार सरकार ने इसकी नीति बनायी है.
झारखंड में चल रहा है गुंडा राज : बाबूलाल
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में गुंडा राज चल रहा है. सरकार आंदोलन करनेवाले विस्थापितों पर लाठी बरसा रही है. उन्हें जेल में डाला जा रहा है. सरकार कॉरपोरेट घरानों के लिए औने-पौने दाम में गरीबों की जमीन का अधिग्रहण करने की कोशिश कर रही है. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में शराब बनाने और बेचने वाले भाजपा के लोग हैं. इसलिए मुख्यमंत्री रघुवर दास शराबबंदी कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मार रहे हैं. उक्त बातें उन्होंने एयरपोर्ट पर कही.
दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं विस्थापित : प्रदीप
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य के विस्थापित आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. सरकार विस्थापितों को उजाड़ कर हरियाली दिवस मना रही है. मुख्यमंत्री रघुवर दास सिर्फ बिहार सरकार को कोस रहे हैं. बिहार में पुलिस अपराधियों को पकड़ रही है, जबकि झारखंड पुलिस विधायकों को पकड़ रही है. यहां पर गरीबों के लिए नहीं, उद्योगपतियों के लिए कानून बनाया जा रहा है. सरकार यहां आंदोलन करनेवालों को जेल भेज रही है़
सीमावर्ती इलाकों में अनुमति से खुले शराब दुकान
नीतीश कुमार ने कहा कि झारखंड में शराबबंदी अभियान को पूरा समर्थन मिल रहा है, लेकिन झारखंड की सीमावर्ती इलाकों में सरकार की ओर से कड़ाई नहीं बरतने के कारण स्थित में सुधार नहीं हो पा रहा है. झारखंड के मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि सीमावर्ती इलाकों के 3.2 किलोमीटर के अंदर बिहार सरकार की अनुमति से शराब दुकान खोलने की अनुमति प्रदान की जाये. सीमावर्ती इलाकों में शराब की बिक्री में वृद्धि हुई है. पलामू के समीप सीमावर्ती इलाकों में तो 50 प्रतिशत तक बिक्री बढ़ गयी है. इस पर कंट्रोल किया जाना चाहिए.
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