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मेंस एसोसिएशन के गेस्ट हाउस के आठ कमरों पर कब्जा
रांची: राज्य के विभिन्न जिलों से आनेवाले पुलिसकर्मियों को राजधानी में रहने के लिए कम कीमत पर कमरा मिल सके, इसके लिए सरकार ने गेस्ट हाउस बनवाया है. गेस्ट हाउस लाइन टैंक रोड स्थित पुलिस मेंस एसोसिएशन के केंद्रीय कार्यालय परिसर में है. गेस्ट हाउस में कुल 24 कमरे हैं. आठ कमरों पर एसोसिएशन के […]
रांची: राज्य के विभिन्न जिलों से आनेवाले पुलिसकर्मियों को राजधानी में रहने के लिए कम कीमत पर कमरा मिल सके, इसके लिए सरकार ने गेस्ट हाउस बनवाया है. गेस्ट हाउस लाइन टैंक रोड स्थित पुलिस मेंस एसोसिएशन के केंद्रीय कार्यालय परिसर में है. गेस्ट हाउस में कुल 24 कमरे हैं. आठ कमरों पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कब्जा कर लिया है. तीन कमरों के बाहर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अपना बोर्ड भी लगवा लिया है. अन्य पांच कमरों में ताला लगा रहता है. आठ कमरों में कब्जा पिछले कई वर्षों से है. एसोसिएशन के पदाधिकारी इसका भाड़ा भी नहीं देते हैं. इस कारण बाहर से आनेवाले पुलिसकर्मियों को गेस्ट हाउस में कमरा नहीं मिल पाता है.
सूत्रों ने बताया कि जो पदाधिकारी गेस्ट हाउस के कमरों में रह रहे हैं, वह आवास भत्ता भी ले रहे हैं. एसोसिएशन के प्रदेश कोषाध्यक्ष रंजन सिंह को प्रमोशन मिल चुका है. लेकिन गेस्ट हाउस के एक कमरा नंबर (आरएन-23) के बाहर उनका बोर्ड अभी भी लगा हुआ है. बुधवार को कमरा में ताला लटका हुआ था. बताया जाता है कि इस कमरे की चाबी एसोसिएशन के एक अन्य पदाधिकारी के पास ही रहती है.
गेस्ट हाउस में रहने का क्या है नियम
गेस्ट हाउस में एक कमरा किसी पुलिसकर्मी को 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है. बाहर से आनेवाले सभी पुलिसकर्मियों को कमरा मिल सके, इसके लिए नियम है कि एक पुलिसकर्मी को अधिकतम तीन दिन के लिए कमरा दिया जा सकता है. किसी पुलिसकर्मी को तीन दिनों से अधिक के लिए कमरा देने की अनुमति एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दे सकते हैं.
किसके लिए है गेस्ट हाउस
गेस्ट हाउस का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि जब कोई पुलिसकर्मी विभागीय या निजी काम से रांची आये, तो उन्हें कम कीमत पर रहने के लिए कमरा मिल सके. लेकिन कमराें में कब्जा होने के कारण बाहर से आनेवाले पुलिसकर्मियों को कमरा नहीं मिल पाता. उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि कमरा खाली नहीं है.
रांची आते ही खाली कर दूंगा कमरा : जितेंद्र हांसदा
मेरे पास कोई आॅफिस नहीं था. इसलिए मैंने एक कमरा आॅफिस चलाने के लिए रखा था. मेरी देखा-देखी एसोसिएशन के दूसरे पदाधिकारियों ने भी कमरा पर कब्जा कर लिया. मैं इसका विरोध करता हूं. मैंने भी अपने नाम पर एक कमरा गलत ढंग से रखा है. अभी मैं रांची के बाहर हूं. वापस लौटते ही कमरा खाली कर दूंगा.
जितेंद्र हांसदा, प्रदेश महामंत्री, पुलिस मेंस एसोसिएशन
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