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वर्षा जल रिचार्ज के लिए 12 जिलों की पहचान

दीपक रांची : केंद्रीय जल आयोग की ओर से राज्य के 12 जिलों की पहचान प्राकृतिक वाटर (वर्षा जल) रिचार्ज के लिए की गयी है. आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में औसतन 1238.6 मिलीमीटर बारिश होती है. यहां पर गंगा, स्वर्ण रेखा और ब्राह्मिणी बेसिन है. राज्य के पूर्वी और पश्चिमी […]

दीपक
रांची : केंद्रीय जल आयोग की ओर से राज्य के 12 जिलों की पहचान प्राकृतिक वाटर (वर्षा जल) रिचार्ज के लिए की गयी है. आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में औसतन 1238.6 मिलीमीटर बारिश होती है.
यहां पर गंगा, स्वर्ण रेखा और ब्राह्मिणी बेसिन है. राज्य के पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, गोड्डा, लोहरदगा, रांची, बोकारो, चतरा, हजारीबाग, दुमका, गिरिडीह, गुमला व लातेहार का चयन वाटर रिचार्ज के लिए किया गया है.सबसे अधिक पानी रिचार्ज करने के लिए उपयुक्त जिला बोकारो को बताया गया है.
आयोग की अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में सरफेस वाटर पर कुल आबादी की 60 फीसदी निर्भर है. ऐसे में सरफेस वाटर के आर्टिफिशियल रिचार्ज के लिए 1414.313 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी. आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में हार्ड राक अधिक पाये जाते हैं. पूर्वी सिंहभूम जिले में भी पत्थरों के कई प्रारूप पाये गये हैं.
इन क्षेत्रों में नाला बंद कर और रिसाव टैंक बना कर पानी को रिचार्ज किया जा सकता है. ऐसे में नाले से बहनेवाले बारिश के पानी को रोकने के लिए नीचले इलाकों में कंक्रीट स्ट्रक्चर बनाने का सुझाव दिया गया है. इन जिलों में 3754 रिसाव टैंक बनाने और 22528 नालों को बंद करने की आवश्यकता है.
इस पर 1734 करोड़ खर्च होंगे. राज्य के दो लाख घरों और सरकारी भवनों में भी रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग के सुझाव दिये गये हैं. इससे 47.56 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रिचार्ज किया जा सकता है. रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक हजार वर्ग मीटर के लिए एक लाख रुपये की दर से स्ट्रक्चर बनाने का सुझाव दिया गया है.

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