बिहार सरकार ने पूरे राज्य में हर तरह की शराब पर प्रतिबंध लगा दिया है. झारखंड में भी शराब पर प्रतिबंध लगाने की मांग हाेने लगी है. कई जिलाें में महिलाएं सड़काें पर पहले भी उतर कर शराब भट्टियाें काे ताेड़ चुकी हैं. घाेर नक्सल प्रभावित गुड़ाबांधा (पूर्वी सिंहभूम) में शराबबंदी के लिए आदिवासी महिलाएं सड़काें पर उतर चुकी हैं. इन महिलाआें का कहना है कि शराब उनका घर बरबाद कर रही है. जिस पैसे से परिवार का पेट भरना था, बच्चाें की पढ़ाई करानी थी, इलाज कराना था, उस पैसे काे शराब में फूंक दिया जा रहा है. लिवर खराब हाे रहे हैं. हिंसा बढ़ रही है. इसी विषय पर प्रभात खबर ने राज्य के विधायकाें से बात की कि आखिर उनकी क्या राय है. जितने विधायकाें से प्रभात खबर संपर्क कर पाया, उन्हीं के आंकड़ाें काे हमने इस सर्वेक्षण में शामिल किया है.
रांची: झारखंड के 94 फीसदी विधायक राज्य में शराबबंदी चाहते हैं. सिर्फ छह फीसदी विधायक चाहते हैं कि झारखंड में शराब पर प्रतिबंध नहीं लगे. लेकिन सभी विधायक (54 विधायकों की राय इसमें शामिल की गयी है) शराब को हानिकारक मानते हैं. इनमें 50 फीसदी यानी 27 विधायक राज्य में हड़िया पर भी प्रतिबंध चाहते हैं. लेकिन अन्य 50 फीसदी विधायक चाहते हैं कि हड़िया झारखंड की परंपरा से जुड़ा है. इसलिए पर्व, परंपरा या विशेष अवसराें पर इसके सेवन पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए. राज्य के कुल 82 विधायकाें (एक मनाेनीत समेत) में से प्रभात खबर ने 55 विधायकाें से बात की. इनमें अध्यक्ष ने नीतिगत मामला हाेने की बात कह काेई भी राय देने से इनकार कर दिया.
दाे विधायकाें की माैत हाे गयी है़ दाे विधायक जेल में हैं, जिनसे बात नहीं हाे सकी. कुल 54 विधायकाें ने प्रभात खबर द्वारा पूछे गये सवालाें का जवाब दिया. इनमें 51 विधायक शराबबंदी के पक्ष में हैं, जबकि सिर्फ तीन विधायक नहीं चाहते कि राज्य में शराब बंद हाे. मुख्यमंत्री काे इस सवाल-जवाब से अलग रखा गया था.
जिन विधायकाें से सवाल पूछे गये, वे विभिन्न दलाें के थे. इनमें भाजपा के 27, झारखंड मुक्ति माेरचा के 13, कांग्रेस के पांच, आजसू के तीन आैर अन्य छह विधायक थे. ये सभी विधायक मानते हैं कि शराब का सेवन हानिकारक है. भाजपा के 26 विधायक चाहते हैं कि शराब पर प्रतिबंध लगे, सिर्फ एक चाहते हैं कि नहीं लगे. झामुमाे के सभी 13 विधायक (जिन्हाेंने इसमें हिस्सा लिया) झारखंड में शराब बंदी चाहते हैं. कांग्रेस के पांच आैर आजसू के तीन विधायक भी शराबबंदी चाहते हैं. निर्दलीय आैर छाेटे दलाें के दाे विधायक इसके पक्ष में नहीं हैं.
हड़िया पर प्रतिबंध पर बंटे दिखे विधायक
हड़िया पर प्रतिबंध पर विधायक बंटे हुए दिखे. सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी कि झारखंड में हड़िया यहां की संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए इसके प्रतिबंध के समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पर्व-त्याेहार, शादी या अन्य विशेष अवसराें पर (जहां परंपरा है) लाेगाें काे दिक्कत न हाे. विशेष अवसराें पर छूट मिलनी चाहिए. झारखंड के 54 में से 27 विधायक चाहते हैं कि हड़िया पर भी प्रतिबंध लगे, लेकिन 10 विधायक नहीं चाहते कि किसी तरह का प्रतिबंध लगे. 17 विधायक चाहते हैं कि परंपरा पर असर नहीं पड़े, लाेगाें में जागरूकता फैलाने का पहले प्रयास हाे, एक विधायक (मंत्री भी हैं) ने कहा कि पहले अध्ययन हाेना चाहिए. दाे ने कहा कि राेजगार की पहले व्यवस्था हाे. जहां तक दलाें का सवाल है, भाजपा के 15 विधायक हड़िया पर भी प्रतिबंध चाहते हैं, जबकि झामुमाे के 13 में से सिर्फ छह विधायक हड़िया पर प्रतिबंध चाहते हैं. इनमें दाे ने साफ किया कि किसी भी हाल में हड़िया पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए. कांग्रेस के पांच में चार प्रतिबंध चाहते हैं. दाे विधायकाें ने अपनी राय देते हुए कहा कि हड़िया ताे शराब है ही नहीं, इसलिए यह सवाल करना उचित नहीं है.
शराबबंदी से क्या हाेगा फायदा
1. शराब के कारण जाे घर बर्बाद हाे रहे हैं, वे बच जायेंगे.
2. शराब पर जाे पैसा खर्च हाे रहा है, वह पैसा परिवार के बेहतर खाना, बच्चाें की पढ़ाई पर खर्च कर पायेंगे.
3. शराब पीने से जाे गंभीर बीमारियां (लिवर के खराब हाेने आदि का) हाे रही हैं, उस पर राेक लगेगी.
4. शराब के कारण जाे हिंसा हाे रही है या जाे दुर्घटनाएं हाेती हैं, उन पर राेक लगेगी.
याद रखिए
1972-75
में जब शिबू साेरेन टुंडी में बड़ा समाज सुधार आंदाेलन चला रहे थे, उनकी समानांतर सरकार चलती थी, उस अभियान में भी हड़िया-दारू काे छाेड़ने की अपील करते थे.
क्या चाहते हैं सांसद
शिबू सोरेन (दुमका) झारंखड में पहले ही शराबबंदी होनी चाहिए थी. यह युवा पीढ़ी के लिए घातक है. लोगों को हड़िया के खिलाफ जागरूक करने की जरूरत है.
विद्युत वरण महतो (जमशेदपुर) शराबबंदी का पक्षधर रहा हूं. हड़िया ट्राइबल की संस्कृति व परंपरा से जुड़ा है. इसका सेवन पूजा तक सीमित रहे.
रामटहल चौधरी (रांची) झारखंड में भी पूर्णरूप से शराबबंदी होनी चाहिए. नशा व्यक्ति और समाज के लिए नुकसानदेह है.
सुदर्शन भगत (लोहरदगा) झारखंड में शराबबंदी होनी चाहिए. हड़िया का सेवन पर्व-त्योहार और घरों तक सीमित रहना चाहिए. खुले बाजार में बिक्री न हो.
बिष्णु दयाल राम (पलामू) राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. यह युवाओं के लिए घातक है. जहां तक हड़िया का सवाल है, इसमें ढील मिलनी चाहिए.