रांची शहरी क्षेत्र में जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. जल संसाधन विभाग के भूगर्भ निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार. शहर में एक साल में अंडरग्राउंड वाटर लेवल चार मीटर (लगभग 13 फीट) नीचे चला गया है. वहीं रातू रोड, मधुकम, हरमू, मोरहाबादी आिद इलाकों में तो 30-30 फीट तक जलस्तर घटा है. राज्य में जलसंकट की स्थीति है, यह सरकार भी मानती है. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने माना है कि रांची समेत राज्य के सभी हिस्सों में पानी की समस्या गंभीर हो गयी है. शहरी इलाके में पानी के लिए लोग सुबह ही भटकने लगते हैं. जहां भी पानी मिलता है, वहां लोग बाल्टी, डेकची लेकर कतार में खड़े हो जाते हैं. सबसे बुरा हाल अपार्टमेंटों का है. मोरहाबादी के कुछ अपार्टमेंट की डीप बोरिंग सूख गयी है. लोग पानी खरीद कर पीने को विवश हैं. हरमू हाउसिंग कॉलोनी, अरगोड़ा, कडरू, धुर्वा, किशोरगंज, आनंद नगर, विद्यानगर, रातू रोड, इंद्रपुरी, अलकापुरी, पिस्का मोड़, इटकी रोड, चुटिया, मेन रोड के इलाकों में जलस्तर में तेजी से गिरावट आयी है. 50 फीसदी से अधिक घरों में 150 से 225 फीट तक के बोरिंग से पानी नहीं आ रहा है. जो सक्षम हैं, वह नयी बोरिंग करा रहे हैं. बोरिंग फेल हो रहे हैं. कुएं सूख चुके हैं. तालाबों की स्थिति भी दयनीय है. रांची बड़ा तालाब को छोड़कर तकरीबन सभी तालाब सूख चुके हैं. शहर के मधुकम तालाब, अरगोड़ा तालाब, गोंसाई क्लब छठ पूजा तालाब, धुमसा टोली तालाब, हटनिया तालाब, खिजूरिया तालाब सूख चुके हैं. नगर िनगम के आंकड़ों के अनुसार 3400 सार्वजनिक चापानलों में से 800 खराब हो चुके हैं.
बोरिंग पर निर्भर 11 लाख आबादी
रांची: राजधानी की 13 लाख से अधिक जनता वर्तमान में 2.50 लाख से अधिक भवनों में रहती हैं. 1.50 लाख से अधिक मकानों में रह रहे 11 लाख से अधिक की आबादी ऐसी है, जो पेयजल के रूप में बोरिंग के पानी का उपयोग करते हैं. इसके अलावा 2500 से अधिक अपार्टमेंट ऐसे हैं, जिनके द्वारा जल की पर्याप्त उपलब्धता को लेकर डीप बोरिंग करवायी गयी है. इतने अधिक संख्या में बोरिंग किये जाने से भूगर्भ जल के भंडार से पानी का दोहन तो हो रहा है, परंतु उस हिसाब से भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो रहा है.
राजधानी में ग्राउंड वाटर के लगातार नीचे जाने का सबसे ज्यादा असर निजी बोरिंग, सरकारी चापानलों, निजी कुओं और तालाबों पर पड़ा है. जिन कुओं में कभी सालों भर पानी लबालब भरा रहता था, आज वे कुएं ठंड के महीने में ही सूख जाते हैं. मार्च के महीने में ही लोग एक बाल्टी पानी की मांग को लेकर सड़क पर उतरने को विवश हो रहे हैं, मई-जून का आना अभी बाकी है.
मकान 2.50 लाख, कनेक्शन 34 हजार
राजधानी में 2.50 लाख से अधिक मकान हैं, परंतु इन मकानों में से केवल 34 हजार में ही रांची नगर निगम सप्लाई पाइपलाइन से पानी पहुंचा रहा है. बाकी के दो लाख से अधिक मकान ऐसे हैं, जो पीने के पानी के लिए बोरिंग पर आश्रित हैं. नतीजा भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है. रांची नगर निगम के अधिकारियों की मानें, तो शहर के 75 प्रतिशत मोहल्लों में निगम के द्वारा पाइपलाइन बिछायी गयी है. उससे पानी आ रहा है कि नहीं, कोई देखनेवाला नहीं है. शहर में ऐसे कई मोहल्ले हैं, जहां पाइपलाइन तो है, परंतु उसमें पानी कभी आया ही नहीं है. कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां सप्लाइ पाइपलाइन से दिन में केवल 10-15 मिनट ही जलापूर्ति होती है.
पांच साल में डेड हो गये 330 चापानल
राजधानी में भूगर्भ जल का स्तर किस प्रकार से नीचे जा रहा है, इसकी झलक रांची नगर निगम के द्वारा गली मोहल्ले में लगाये गये चापाकलों के फेल होने से दिख रही है. राजधानी में रांची नगर निगम के द्वारा जहां 3400 से अधिक चापाकलों का अधिष्ठापन किया गया है, वहीं पिछले पांच साल में ही 330 से अधिक चापाकल डेड हो गये हैं. चापाकलों के फेल होने के बाद निगम अधिकारियों ने यह निर्णय लिया है कि अब से बोरिंग की गहराई 300 फीट करायी जायेगी. ज्ञात हो कि पूर्व में नगर निगम के द्वारा 150-180 फीट तक ही बोरिंग करायी जाती थी. इसके अलावा इन 3400 चापाकलों में से 800 चापाकल ऐसे हैं, जिन्होंने गरमी के प्रारंभ में ही पानी देना बंद कर दिया है. इन चापाकलों में कुछ आधा या एक घंटा ही पानी देते हैं. यही हाल िनजी तौर पर कराये गये बोरिंग का भी है. िनजी बोरिंग फेल हो रही है. इससे लोग और गहरी बोरिंग करा रहे हैं और समस्या बढ़ती ही जा रही है.
100 में से 70 सार्वजनिक चापानल हो गये बेकार
रांची. वार्ड नंबर 31 में लोगों के घरों की बोरिंग फेल हो रही है. 170 से 225 फीट तक की बोरिंग में पानी नहीं है. लोग फिर से बोरिंग करा रहे हैं, जिसकी गहराई 300 से 500 फीट तक की है. शिवशक्ति नगर निवासी मणिकांत झा बताते हैं कि 10 साल पहले उन्होंने बोरिंग करायी थी, जिसकी गहराई 160 फीट थी. अब इससे पानी नहीं निकलता है. स्वर्ण जयंती नगर में हाल ही में एचवाइडीटी सिस्टम से करायी गयी बोरिंग से पानी लेने के लिए लोग अहले सुबह से ही बाल्टी लेकर लाइन में लग जाते हैं. पानी भरने का सिलसिला दिन भर चलता रहता है. जयप्रकाश नगर में डीप बोरिंग में भी सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक लोग पानी भरने के लिए लाइन में लगे रहते हैं.
क्या कहतीं हैं पार्षद
पार्षद आशा देवी कहती हैं कि इस वार्ड में सबसे अधिक पानी की समस्या है. सात डीप बोरिंग करा कर मोटर भी लगाये गये हैं, ताकि लोगों को पानी मिल सके. मिलन चौक, महुवा टोली, मधुकम भगत कोचा, न्यू मधुकम, शिवशक्ति नगर, स्वर्ण जयंती नगर व प्रोग्रेसिव स्कूल के पास मिनी एचवाइडीटी लगाये गये हैं. पर यह नाकाफी है. अब तो टैंकर से भी जलापूर्ति शुरू की गयी है. उन्होंने कहा कि छह किमी नयी पाइप लाइन बिछायी गयी है, पर इसमें जलापूर्ति अब तक शुरू नहीं की जा सकी है. उन्होंने बताया कि इस इलाके का जलस्तर तेजी से गिर रहा़ अब लोगों को वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर देना चाहिए, ताकि भूमिगत जल स्तर बना रहे.
हटिया डैम से करनी पड़ रही है राशनिंग
राजधानी के 13 लाख से अधिक की शहरी आबादी को पीने का पानी मुहैया कराने में तीन जलाशयों का पानी भी कम पड़ रहा है. राजधानी में तीन जलाशयों के माध्यम से पीने के पानी की आपूर्ति प्रति दिन की जाती है. इनमें से हटिया डैम को छोड़ अन्य दो जलाशय गोंदा और रुक्का डैम की स्थिति ठीक है. हटिया डैम में नवंबर 2015 से पीने के पानी की आपूर्ति में कटौती (राशनिंग) की जा रही है. वर्तमान में डैम का जल स्तर पिछले वर्ष की तुलना में आठ फीट कम हो गया है. वहीं, गोंदा डैम में पीने के पानी का जल स्तर आठ फीट अधिक है. सबसे बड़े डैम रूक्का में सितंबर तक पीने के पानी की कमी नहीं होने का दावा पेयजल और स्वच्छता विभाग की तरफ से किया जा रहा है. 60 के दशक में बने हटिया डैम में पानी का जल स्तर लगातार कम हो रहा है. सोमवार को हटिया डैम का जल स्तर 9.11 फीट ही बचा है. 2010 मई में डैम का जल स्तर पांच फीट से भी कम हो गया था.
प्रत्येक दिन डैम का जल स्तर एक इंच से डेढ़ इंच कम हो रहा है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि गरमी के मौसम तक पानी की राशनिंग जारी रहेगी. इस डैम से 19 वार्डों में पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है. वहीं, रुक्का डैम से 25 से अधिक वार्डों में प्रत्येक दिन पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है. शहरी आबादी के लिए प्रत्येक दिन 40 से 44 मिलियन गैलन पानी (एमजीडी) की आवश्यकता होती है. हटिया डैम से आठ से 10 एमजीडी, रुक्का से 28 से 30 एमजीडी और गोंदा से तीन से चार एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है.
हटिया डैम का जल स्तर पिछले वर्ष की तुलना में आठ फीट कम
डैम अभी जलस्तर पिछले वर्ष
हटिया डैम 9.11 फीट 17.11 फीट
गोंदा डैम 16 फीट 24 फीट
रुक्का डैम 19 फीट 21 फीट