रांची : एचइसी से सेवानिवृत्त कर्मी बुनीलाल राम का इलाज पैसे के अभाव में नहीं हो रहा है. उनके लकवाग्रस्त शरीर के कई अंग ने काम करना बंद कर दिया है. हालत ऐसी है कि अब वे बोल भी नहीं पाते हैं. दैनिक क्रिया के लिए पत्नी और पुत्र का सहयोग लेना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि प्रबंधन को बुनीलाल की बीमारी के बारे में पता नहीं है. इसके बावजूद भी प्रबंधन ग्रेच्युटी की राशि छह लाख का भुगतान नहीं कर रहा है.
पत्नी देवंती देवी ने बताया कि 31 अगस्त 2015 को एचएमटीपी से असिस्टेंट फोरमैन के पद से सेवानिवृत्त हुए. छह माह पूर्व ही उन्हें 9 फरवरी 2015 को बीमारी के कारण प्रबंधन ने बैठा दिया था. कई निजी चिकित्सकों से दिखाने के बाद रिम्स में भी उनका इलाज कराया. उनके इलाज में 5-6 लाख रुपये खर्च हो गये. रिम्स से उन्हें वेल्लोर रेफर कर दिया गया. पैसा नहीं होने के कारण उन्हें वेल्लोर नहीं ले जा सके. घर में दो बेटी की शादी करनी है. एचइसी प्रबंधन को पत्र लिखा, खुद जाकर मिले, मिन्नतें की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
पत्नी देवंती कहती है बेटा अमन अभी पढ़ रहा है. वृद्धापेंशन से जो राशि मिलती है, उसी से परिवार चलता है. अभी स्थिति ऐसी हो गयी है कि बेटी की शादी करें कि इलाज करायें. वह कहती है कि कितने दुख से जीवन गुजार रहे हैं, किससे कहें अपना दर्द. कोई दोस्त पूछने तक नहीं आता है. समय पर अपना कमाया पैसा भी नहीं मिल रहा है.
प्रबंधन बुनी लाल राम के साथ है. प्रबंधन वित्तीय संकट के बावजूद गंभीर बीमारी, बेटी की शादी व उच्च शिक्षा के मामले में प्राथमिकता के आधार पर लीव सैलरी व ग्रेच्युटी का भुगतान कर रही है. फंड की व्यवस्था होते ही भुगतान होगा.
हेमंत गुप्ता, जनसंपर्क अधिकारी, एचइसी