-मनोज सिंह-
रांचीः कृषि विभाग के लिए वर्ष 2013 का साल मिला-जुला परिणामवाला रहा. साल के शुरुआती माह में आधा दर्जन से अधिक अधिकारी लगातार फरार रहे. कई अधिकारी अब भी निलंबित हैं. इन पर खाद-बीज घोटाले का आरोप है. कुछ अधिकारियों को उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट से राहत भी मिली. इसी मामले में विभाग के एक पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता गिरफ्तार हुए.
गिरफ्तार नलिन सोरेन को जमानत पर रिहा किया गया. जांच और अधिकारियों की फरारी के उथल-पुथल के बीच ही जर्मनी की सरकार ने झारखंड के किसानों को उच्च तकनीक से लैस करने के लिए सुविधा देने पर सहमति जतायी. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर रांची के ओरमांझी, अनगड़ा और प. सिंहभूम के पटमदा और बादाम प्रखंड का चयन किया गया. यहां किसानों को हर प्रकार की सुविधा दी जायेगी. भारत सरकार ने राज्य में कृषि के क्षेत्र में नेशनल ई-गवर्नेस कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया. हर प्रखंड में कृषि का एक अलग तकनीकी सुविधायुक्त भवन बनाने की शुरुआत हुई. किसानों को मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से सुविधा देने पर सहमति जतायी गयी.
नहीं मिले समेति के स्थायी निदेशक : सरकार ने एक बार फिर समेति के स्थायी निदेशक की खोज शुरू की. निदेशक के लिए तत्कालीन विकास आयुक्त एके सरकार की अध्यक्षता में इंटरव्यू भी हुआ. कई अधिकारियों ने हिस्सा भी लिया, लेकिन अब तक रिजल्ट नहीं निकला. समेति निदेशक समेत कई निदेशकों के पद अब भी प्रभार में ही चल रहे हैं.
समय पर टेंडर, मौसम ने दिया धोखा : सरकार ने खरीफ मौसम में बीज खरीद के लिए पहली बार समय से पूर्व टेंडर कर दिया. सरकार ने मई तक किसानों के पास धान बीज पहुंचाना भी शुरू कर दिया. जून में अच्छी बारिश भी हुई, लेकिन जुलाई और अगस्त माह की बारिश ने किसानों को धोखा दे दिया. नतीजा यह हुआ कि बीज मिलने के बाद भी किसान समय पर रोपा नहीं कर सके. इस साल सरकार ने 2.19 लाख क्विंटल बीज आपूर्ति का आदेश कंपनियों को दिया था. समय पर पैसा जमा नहीं कर पाने तथा किसानों की मांग नहीं होने के कारण काफी कम बीज बीज कंपनियों ने आपूर्ति की. एक बार फिर धनबाद जिले में घटिया बीज की आपूर्ति की गयी. इस कारण वहां 20 दिनों में ही धान बाली आ गयी. इसकी जांच विभाग ने बीएयू के वैज्ञानिकों से करायी, जिसमें घटिया बीज दिये जाने की पुष्टि भी हुई.
केंद्र ने दिया कम यूरिया खपत का निर्देश : भारत सरकार ने यूरिया की खपत कम करने का निर्देश सभी राज्यों को दिया. भारत सरकार ने झारखंड के डीएपी कोटे में कटौती कर दी. झारखंड को वर्ष 2012 में 43 लाख एमटी डीएपी मिली थी.
इसकी तुलना में वर्ष 2013 में 40 लाख एमटी डीएपी ही दी गयी. भारत सरकार ने 10 कुपोषित जिलों में झारखंड के एक जिले चाईबासा का भी चयन किया. यहां विभाग विशेष योजना चलाकर मक्का उत्पादन को बढ़ावा देगी.