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आंकड़े मिले, पर डाटा बेस नहीं बना

रांची : कल्याण विभाग ने अपने स्कूलों व छात्रावासों से संबंधी आंकड़े तो मंगा लिये, पर इसे कंपाइल कर डाटा बेस नहीं बनाया. यह डाटा बेस विभाग के आवासीय विद्यालयों व छात्रावासों की स्थिति सुधारने के लिए तैयार किया जाना था. राज्य भर में कल्याण विभाग के 465 छात्रावास हैं. ये 132 आवासीय विद्यालयों के […]

रांची : कल्याण विभाग ने अपने स्कूलों व छात्रावासों से संबंधी आंकड़े तो मंगा लिये, पर इसे कंपाइल कर डाटा बेस नहीं बनाया. यह डाटा बेस विभाग के आवासीय विद्यालयों व छात्रावासों की स्थिति सुधारने के लिए तैयार किया जाना था. राज्य भर में कल्याण विभाग के 465 छात्रावास हैं.
ये 132 आवासीय विद्यालयों के छात्रावासों से अलग हैं. इन विद्यालयों व छात्रावासों की स्थिति विभाग की ही दो रिपोर्ट में स्पष्ट हो चुकी है. इनकी बदतर स्थिति के मद्देनजर विभाग ने चार वर्ष पूर्व अपने सभी 597 (465+132) छात्रावासों का डाटा बेस तैयार करने का निर्णय लिया था. इसमें छात्रावास में उपलब्ध सुविधाएं व पठन-पाठन संबंधी कुल 228 तरह की सूचनाएं दर्ज होनी थी. बाद में सूचनाएं मंगाकर इसे रख लिया गया है. इन्हीं सूचनाओं के माध्यम से छात्रावासों की स्थिति का आकलन करने व फिर विभिन्न मदों में बजट आवंटन करने की बात थी.
गौरतलब है कि आवासीय विद्यालय को छोड़ शेष छात्रावासों में से सौ से अधिक संचालित नहीं हैं. कई तो वर्षों से निर्माणाधीन हैं. उधर, राज्य के 23 जिलों (कोडरमा में आवासीय विद्यालय नहीं है) में स्थित एससी, एसटी व ओबीसी लड़के-लड़कियों के लिए 132 आवासीय विद्यालय हैं. इनमें से ज्यादातर स्कूलों के छात्रावासों की स्थिति बदतर है.
यहां पानी, बिजली, भोजन व शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी सहित पठन-पाठन का अनुकूल माहौल नहीं है. खुद विभागीय रिपोर्ट (2009 व 2011) में यह बात सामने आ चुकी है कि वहां बच्चे विपरीत परिस्थितियों में पढ़ रहे हैं.

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