इसलिए यह प्रस्ताव कार्मिक विभाग के जरिये आना चाहिए था, न कि ग्रामीण विकास विभाग के जरिये.उनका यह भी कहना था कि इस प्रस्ताव से झारखंड प्रशासनिक सेवा संवर्ग के अधिकारियों की प्रोन्नति व हक भी मारे जायेंगे. इधर, कुछ अन्य एक्सपर्ट भी मानते हैं कि आइएफएस प्रशासनिक सेवा से अलग प्रकार की सेवा है. जगह का संरक्षण व प्रबंधन देखनेवाले लोगों को उनके ही कामों में लगाया जाये, तो बेहतर होगा.
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संविदा पर डीडीसी, कैबिनेट में सरयू राय ने किया था विराेध
रांची: सरकार ने डीडीसी के कुल छह पद अाइएफएस के लिए या संविदा पर किसी विशेषज्ञ के लिए तय कर दिया है. कैबिनेट से इस प्रस्ताव के पास होने के पूर्व इसका विरोध हुआ था. संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. उनका कहना था कि डीडीसी व […]
रांची: सरकार ने डीडीसी के कुल छह पद अाइएफएस के लिए या संविदा पर किसी विशेषज्ञ के लिए तय कर दिया है. कैबिनेट से इस प्रस्ताव के पास होने के पूर्व इसका विरोध हुआ था. संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. उनका कहना था कि डीडीसी व आइएएस सहित अन्य पदों पर नियुक्ति कार्मिक विभाग के जरिये होती है.
उनका यह भी तर्क है कि डीडीसी के पास विकास योजनाओं को क्रियान्वित करने की जिम्मेवारी होती है. वे जिले में निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी होते हैं. ऐसे में संविदा पर नियुक्त किसी व्यक्ति को सरकारी कोष से निकासी और उसके खर्च का अधिकार देना सही नहीं होगा. राज्य प्रशासनिक सेवा के लोग भी इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं. उनका तर्क था कि डीडीसी के पास विकास योजनाओं को क्रियान्वित करने की जिम्मेवारी होती है. यह अधिकार संविदा पर नियुक्त किसी व्यक्ति को देना सही नहीं होगा. यदि ऐसा होता है, तो एेसा अन्य सेवा के अधिकारियों के लिए निर्धारित पदों के लिए भी किया जाना चाहिए.
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