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एंटीबॉयोटिक पॉलिसी बनेगी

फरवरी तक तैयार कर ली जायेगी नीति राजीव पांडेय रांची : एंटीबॉयोटिक के दुरुपयोग पर रोकथाम के लिए राज्यस्तरीय नीति बनायी जायेगी. रिम्स राज्य के लिए एंटीबॉयोटिक नीति बनायेगा. नीति के अनुसार ही राज्य के चिकित्सक मरीजों को एंटीबाॅयोटिक दवा लिखेंगे. पहले यह नीति रिम्स के लिए तैयार की जायेगी. फिर राज्य सरकार की अनुमति […]

फरवरी तक तैयार कर ली जायेगी नीति
राजीव पांडेय
रांची : एंटीबॉयोटिक के दुरुपयोग पर रोकथाम के लिए राज्यस्तरीय नीति बनायी जायेगी. रिम्स राज्य के लिए एंटीबॉयोटिक नीति बनायेगा. नीति के अनुसार ही राज्य के चिकित्सक मरीजों को एंटीबाॅयोटिक दवा लिखेंगे. पहले यह नीति रिम्स के लिए तैयार की जायेगी. फिर राज्य सरकार की अनुमति मिलने के बाद इसे पूरे राज्य में लागू किया जायेगा. रिम्स में एंटीबॉयोटिक पॉलिसी तय करने के लिए एक कमेटी बनायी गयी है. कमेटी के चेयरमैन रिम्स निदेशक डॉ बीएल शेरवाल हैं. इसके अलावा शिशु विभाग, माइक्रोबाॅयोलॉजी विभाग, मेडिसिन विभाग एवं फार्माकॉलोजी विभाग के चिकित्सक शामिल किये गये हैं. फरवरी में एंटीबॉयोटिक नीति तैयार हो जाने की उम्मीद की जा रही है.
केरल बन रहा है पाॅलिसी
एंटीबॉयोटिक के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए केरल में नयी पाॅलिसी तैयार की जा रही है. केरल सरकार एंटीबॉयोटिक स्टूवर्डशिप पॉलिसी तैयार कर रही है. पॉलिसी तैयार होने के बाद इसे सरकारी अस्पताल, निजी अस्पताल, क्लिनिक में प्रसारित किया जायेगा. इसके बाद लोगों को जागरूक करने के लिए नीति की जानकारी दी जायेगी.
तो एंटीबॉयोटिक हो जाता है बेअसर
धड़ल्ले से हो रहे एंटीबॉयोटिक के दुरुपयोग के कारण मानव शरीर में कभी-कभी इसका असर भी खत्म होने लगता है. ऐसी स्थिति में हाई एंटीबॉयोटिक भी काम नहीं करता है. एक चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कुछ चिकित्सक भी इसका दुरुपयोग करते हैं. सबसे ज्यादा झोला छाप डॉक्टर इसका दुरुपयोग करते हैं. जानकारी नहीं होने के कारण वे बेझिझक एंटीबॉयोटिक दवा लिखते हैं.
विवेकपूर्ण इस्तेमाल जरूरी
रिम्स के एक फिजिशियन ने बताया कि एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, क्याेंकि यह जान बचाता भी है और जान लेता भी है. एंटीबाॅयोटिक के बेवजह इस्तेमाल से डायरिया, कमजोरी, भूख नहीं लगना, जी मिचलाना, उल्टी होना सामान्य बात है. कई बार चिकित्सक किडनी व लीवर के मरीजों को एंटीबॉयोटिक लिख कर देते हैं, जबकि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.
नीति में दवा की खुराक व अवधि होगी निर्धारित
एंटीबॉयोटिक पॉलिसी में दवा की खुराक भी तय होगी. मरीज को किस बीमारी में कौन सा एंटीबॉयोटिक देना है, इसका स्पष्ट उल्लेख होगा. दवा की खुराक और उसकी अवधि भी तय होगी. चिकित्सक इसी नीति के हिसाब से मरीजों का इलाज करेंगे. वर्तमान में एंटीबॉयोटिक नीति नहीं होने से एंटीबॉयोटिक का दुरुपयोग किया जाता है. विशेषज्ञों की मानें, तो एंटीबॉयोटिक का दुरुपयोग 80 प्रतिशत तक किया जाता है.
विदेशों में संभल कर देते हैं एंटीबायोटिक
विदेशों में एंटीबाॅयोटिक का इस्तेमाल संभल कर किया जाता है. चिकित्सक वहां हल्की बीमारी में एंटीबॉयोटिक लेने का परामर्श नहीं देते है. जानकारी के अनुसार विदेशों में इसके दुरुपयोग पर रोक लग रही है, जबकि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है.
एंटीबॉयोटिक की नीति के लिए तैयारी की जा रही है.
चार चिकित्सकों की एक कमेटी बनायी गयी है. सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजा जायेगा. पहले इस नीति को रिम्स में लागू किया जायेगा. सरकारी की सहमति के बाद इसे राज्य में लागू कर दिया जायेगा.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक, रिम्स

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