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जनजातीय लोक संस्कृति पर पुस्तक का लोकार्पण, श्रवण कुमार गोस्वामी ने कहा अनुभव को शब्दों में गुंथने की पहल

रांची: लेखक आदित्य प्रसाद सिन्हा की पुस्तक-झारखंड की जनजातीय लोक संस्कृति, पर्व-त्योहार एवं देवी-देवता का लोकार्पण मंगलवार को मनरेसा हाउस में हुआ. लोकार्पण साहित्यकार श्रवण कुमार गोस्वामी ने किया. इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लेखक आदित्य प्रसाद सिन्हा कल्याण विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी रह चुके हैं अौर इस लिहाज से उन्हें […]

रांची: लेखक आदित्य प्रसाद सिन्हा की पुस्तक-झारखंड की जनजातीय लोक संस्कृति, पर्व-त्योहार एवं देवी-देवता का लोकार्पण मंगलवार को मनरेसा हाउस में हुआ. लोकार्पण साहित्यकार श्रवण कुमार गोस्वामी ने किया. इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लेखक आदित्य प्रसाद सिन्हा कल्याण विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी रह चुके हैं अौर इस लिहाज से उन्हें झारखंड के कई क्षेत्रों में काम करने का अनुभव मिला है.

अपने उसी अनुभव के आधार पर उन्होंने पुस्तक लिखी है. उन्होंने कहा कि जनजातीय जीवन में काफी बदलाव आये हैं. जनजातीय जीवन के संबंध में कई पुस्तकें आयी हैं, पर ज्यादातर मामलों में दुहराव ही होता है. उनके जीवन से जुड़ी नयी बातें भी सामने आनी चाहिए. बिरसा मुंडा ने सात्विक जीवन जीने पर जोर डाला था. उनके अनुयायी बिरसाइत अौर महात्मा गांधी को गुरु मानने वाले टाना भगतों का जीवन सात्विकता से भरा था.


साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि आदित्य प्रसाद सिन्हा झारखंडी नहीं हैं, पर वे झारखंड में आये अौर यहीं के होकर रह गये. जनजातीय जीवन को समझने की ललक की वजह से ही वे पुस्तक की रचना कर पाये. डॉ एम नाग ने कहा कि आदित्य प्रसाद सिन्हा की पुस्तक छोटानागपुर के लिए गौरव ग्रंथ माना जायेगा. पुस्तक से जनजातीय जीवन, उनके पर्व त्योहार के बारे में काफी जानकारी मिलेगी. इस अवसर पर विजय शंकर सहित अन्य ने भी विचार रखें.
काव्यगोष्ठी का आयोजन
मौके पर रांची के युवा कवियों ने कविता पाठ भी किया. इस दौरान उन्होंने जीवन के कई विडंबनाओं पर कटाक्ष करते हुए सही विकल्प ढूंढ़ने की बात कही. तन्मय शर्मा ने गजल के माध्यम से लोगों की वाहवाही लूटी, वहीं सारिका भूषण ने देश प्रेम से ओत-प्रोत कविता सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कलावंती सिंह ने 40 पार की औरतें कविता सुना कर माहौल को एक अलग ही भावावेश से रंग दिया. संगीता कुजारा टाक, शेली खत्री, प्रणव प्रियदर्शी, मंशा फातमा रिजवी, शिल्पी कुमारी सुमन ने भी कविताएं सुनायी, जिसे लोगों ने खूब सराहा. कार्यक्रम के अंतिम सत्र में लोक गायक मधु मंसूरी हंसमुख ने एक से बढ़ कर एक नागपुरी लोक गीत सुना कर झारखंड के कई ज्वलंत मुद्दों को लोगों के सामने रखा.

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