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लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष आनंदेश्वर ने कहा, लघु व सूक्ष्म उद्योग की हो रही उपेक्षा

रांची: बैंक में एनपीए बढ़ने के लिए लघु व सूक्ष्म उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. लघु व सूक्ष्म उद्योग का एनपीए एक तिहाई, जबकि दो तिहाई एनपीए बड़े उद्योग के हैं. सरकार की नीति, योजना सही नहीं है. इसका खामियाजा लघु व सूक्ष्म उद्योगों काे उठाना पड़ रहा है. लघु उद्याेग की स्थिति […]

रांची: बैंक में एनपीए बढ़ने के लिए लघु व सूक्ष्म उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. लघु व सूक्ष्म उद्योग का एनपीए एक तिहाई, जबकि दो तिहाई एनपीए बड़े उद्योग के हैं. सरकार की नीति, योजना सही नहीं है. इसका खामियाजा लघु व सूक्ष्म उद्योगों काे उठाना पड़ रहा है. लघु उद्याेग की स्थिति अगर खराब है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. सरकार के कारण ही लघु उद्योग उपेक्षित है. उक्त बातें सोमवार को लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष आनंदेश्वर ने कहीं.
उन्होंने कहा कि रिर्जव बैंक ने निर्देश दिया है कि लघु उद्योग के विकास के लिए फाइनेंस की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाये, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. सरकार की अर्थव्यवस्था में लघु उद्योग की भागीदारी 45 प्रतिशत है. लघु उद्योग की समस्या पर मार्च में कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा, जिसमें इसकी समस्या पर विचार-विमर्श किया जायेगा. मौके पर जीवन कुमार जालान, अरुण कुमार झाझरिया व सुरेंद्र प्रसाद सिंह सहित कई लोग मौजूद थे.
सरकार करे लघु उद्यमियों के साथ बैठक
आनंदेश्वर ने कहा कि सरकार अगर लघु उद्योग के अस्तित्व को वास्तव में बचाना चाहती है, तो लघु उद्यमियों के साथ बैठक करे. उनकी समस्या को सुना जाये. इसके बाद निर्णय लें. राज्य में मुख्यमंत्री उद्योग के मालिक हैं, इसके बावजूद स्थिति खराब है. इज ऑफ डूइंग व मेक इन इंडिया की बात हो रही है. छोटी पूंजी वाले उद्योग मैटेरियल मुहैया कराते हैं, लेकिन बड़े उद्यमी समय पर पैसा नहीं देते हैं. बैंक तीन माह का समय देती है, मुख्य कारण एनपीए का यही है. सरकार गूंगी व बहरी है. बिजली विभाग द्वारा निर्बाध बिजली नहीं उपलब्ध कराने से हमारे उद्याेग बाधित होता है. सरकार स्थानीय लघु उद्याेगों से सामान नहीं मंगाती है, अन्य राज्यों से सामान मंगाया जाता है.

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