रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के चीफ मुरारी लाल मीणा के आदेश पर इंजीनियर पारस के खिलाफ दर्ज केस का अनुसंधान फिर से शुरू कर दिया गया है. इंजीनियर पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित के मामले में वर्ष 2010 में केस दर्ज हुआ था. पारस के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने से संबंधित साक्ष्य नहीं मिलने पर वर्ष 2013 में उन्हें क्लीन चीट दे दी गयी थी.
इससे संबंधित अंतिम रिपोर्ट संख्या 56/13 दिनांक 31 दिसंबर, 2013 को भेज कर केस का अनुसंधान बंद दिया गया था. पिछले माह जब एसीबी चीफ के आदेश पर मामले की समीक्षा हुई, तब पाया गया कि केस के अनुसंधानक इंसपेक्टर ने विभिन्न बिंदुओं पर जांच पूरा किये बिना फानइल रिपोर्ट तैयार कर दी थी.
पारस कुमार ने जांच के दौरान इंस्पेक्टर को आय-व्यय का ब्योरा उपलब्ध कराया था. उसी के आधार पर मामले की जांच शुरू हुई थी. संपत्ति का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया था. जब इंस्पेक्टर से यह पूछा गया कि कैसे आधी-अधूरी जांच कर केस को बंद किया गया, इसके लिए आपको दोषी क्यों नहीं माना जाया, तब इंस्पेक्टर जवाब नहीं दे सके थे. वहीं केस की फाइल को फिर से खोल कर केस के पूर्व अनुसंधान इंस्पेक्टर आरएन सिंह को शोकॉज किया गया है.
उल्लेखनीय है कि पारस द्वारा खुद और अपने परिवार के नाम पर संपत्ति अर्जित करने मामले में जांच की जिम्मेवारी इंस्पेक्टर आरएन सिंह के पास थी, लेकिन जांच के दौरान साक्ष्य नहीं मिले. इसी आधार पर उन्होंने रिपोर्ट तैयार कर निगरानी एसपी राजकुमार लकड़ा को भेजी.
इंस्पेक्टर की रिपोर्ट को सही मानते हुए एसपी ने क्लीन चीट देने से संबंधित अनुशंसा करते हुए तत्कालीन एडीजी नीरज सिन्हा के पास भेज दी थी. एसपी की अनुशंसा के आधार पर एडीजी ने भी पारस को क्लीन चीट देते हुए अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में समर्पित करने का आदेश दिया था. तब इस बात की समीक्षा नहीं हुई थी कि केस में अनुसंधान के दौरान कहां गड़बड़ी हुई थी. वर्तमान में केस रिओपेन कर एसीबी के अधिकारियों ने इसकी जानकारी न्यायालय को दे दी है.