रांची : रांची-जमशेदपुर मार्ग पर गड्ढों को भरने के लिए राज्य सरकार को अपना पैसा खर्च करना पड़ा था. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर पथ निर्माण विभाग ने अपने राज्य कोष से राष्ट्रीय उच्च पथ का मेंटेनेंस कराया था. राज्य सरकार ने करीब 50 लाख रुपये इस सड़क पर गड्ढे को भरने में […]
रांची : रांची-जमशेदपुर मार्ग पर गड्ढों को भरने के लिए राज्य सरकार को अपना पैसा खर्च करना पड़ा था. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर पथ निर्माण विभाग ने अपने राज्य कोष से राष्ट्रीय उच्च पथ का मेंटेनेंस कराया था.
राज्य सरकार ने करीब 50 लाख रुपये इस सड़क पर गड्ढे को भरने में खर्च कर दिये थे, पर उसमें से एक भी पैसा वापस नहीं हुआ. तब ये बातें हुई थी कि इस राष्ट्रीय उच्च पथ 33 का काम अभी राज्य सरकार करा दे, बाद में उसे केंद्र सरकार से राशि वापस (रिंबर्स) हो जायेगी, लेकिन यह नहीं हुआ. रांची-टाटा मार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हो गये थे. इस मार्ग पर तीन घंटे के बजाय वाहनों को चार-साढ़े चार घंटे आने या जाने में लग रहे थे.
गड्ढों की वजह से दुर्घटनाएं भी हो रही थी. वहीं इसे लेकर आंदोलन भी हो रहा था. काफी प्रयास के बाद भी केंद्र सरकार इस सड़क की मरम्मत नहीं करा रही थी. इसके बाद ही इस सड़क को बनाने का फैसला अर्जुन मुंडा ने लिया. इसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से एनअोसी लेकर अपनी राशि से सड़क की मरम्मत करा दी.
महुलिया-बहरागोड़ा पर भी खर्च कर रही सरकार
सबसे दिलचस्प बात है कि अभी फिर से राज्य सरकार को महुलिया-बहरागोड़ा सड़क पर खर्च करना पड़ रहा है. यह सड़क एनएचएआइ की है. पर एनएचएआइ के ठेकेदार ने इस पर काम नहीं किया. सड़क की दशा इतनी खराब हो गयी है कि इस पर 10-12 घंटे जाम लगने लगे. वहीं परिचालन मुश्किल हो गया. अंतत: राज्य सरकार खुद के पैसे से इस सड़क का निर्माण करा रही है. एनएचएआइ से एनअोसी लेकर दो चरण में क्रमश: करीब 19 व 17 करोड़ रुपये का काम कराया जा रहा रहा है. यानी सरकार को एनएचएआइ की सड़क पर 36 करोड़ की चपत लग रही है.