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केबुल कंपनी टाटा स्टील चलायेगी
जमशेदपुर : करीब 15 साल से बंद पड़ी केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) को टाटा स्टील चलायेगी. उसके परिचालन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने आरआर केबुल की याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट नंबर पांच के न्यायाधीश आरके गौवा और रवींद्र भट्ट की अदालत ने फैसला सुनाया, जिसमें कहा कि टाटा स्टील ही एक मात्र […]
जमशेदपुर : करीब 15 साल से बंद पड़ी केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) को टाटा स्टील चलायेगी. उसके परिचालन को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने आरआर केबुल की याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट नंबर पांच के न्यायाधीश आरके गौवा और रवींद्र भट्ट की अदालत ने फैसला सुनाया, जिसमें कहा कि टाटा स्टील ही एक मात्र प्रोमोटर है, जो केबुल कंपनी का संचालन कर सकती है.
शेष अन्य किसी की याचिका पर कोई सुनवाई नहीं की जा सकती है. इसे लेकर सारे रोक को हाईकोर्ट ने हटा दी. इसके बाद कर्मचारियों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है. बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला करीब सात माह बाद आया.
इसे लेकर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाने की तिथि पहले ही तय कर दी थी. केबुल कंपनी के टेकओवर करने को लेकर 27 मई को सुनवाई पूरी हुई थी. दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान टाटा स्टील और ऑपरेटिंग एजेंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पक्ष को सुना गया था.
इस दौरान टाटा स्टील की ओर से एक बार कहा गया था कि टाटा स्टील ही केबुल कंपनी का अधिग्रहण करना और संचालित करना चाहती है. आयफर व बायफर के फैसले को सही ठहराया गया और उसे मान्य कर लिया गया. इसी तरह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआइ) ने भी सुनवाई के दौरान कहा था कि टाटा स्टील से अच्छा प्रस्ताव किसी का नहीं हो सकता है. पहले भी एसबीआइ ने यही बात कही थी. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला को सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट में फंस सकता है मामला
केबुल कंपनी को लेने के लिए बड़े दावेदारों में से एक रही आरआर केबुल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे सकती है. लेकिन इसका असर पड़ने की संभावना कम है. कारण पहले भी आरआर केबुल सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है. जिसकी याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है.
फैसले से केबुल कंपनी का भविष्य संवरेगा : रामबिनोद
फैसला स्वागत योग्य है. हम टाटा स्टील के एमडी समेत तमाम पदाधिकारी के आभारी हैं, जो कंपनी का अधिग्रहण करने को तैयार है. सत्य की जीत हुई है. कंपनी खुलने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है. -राम बिनोद सिंह, महासचिव, केबुल यूनियन सह याचिकाकर्ता
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