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बिजली फ्रेंचाइजी पर अब तक नहीं हो सका फैसला
सीइएससी व टाटा पावर ने फ्रेंचाइजी लेने के लिए ऊर्जा विकास निगम को लिखा ऊर्जा विकास निगम डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी कर रहा रांची : रांची और जमशेदपुर में बिजली फ्रेंचाइजी देने के मामले में झारखंड ऊर्जा विकास निगम द्वारा अब तक फैसला नहीं लिया गया है. हाइकोर्ट के आदेश के डेढ़ […]
सीइएससी व टाटा पावर ने फ्रेंचाइजी लेने के लिए ऊर्जा विकास निगम को लिखा
ऊर्जा विकास निगम डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी कर रहा
रांची : रांची और जमशेदपुर में बिजली फ्रेंचाइजी देने के मामले में झारखंड ऊर्जा विकास निगम द्वारा अब तक फैसला नहीं लिया गया है. हाइकोर्ट के आदेश के डेढ़ माह बाद भी न तो फ्रेंचाइजी दी गयी है और न ही इससे इनकार किया गया है. हालांकि निगम के सूत्रों ने बताया कि हाइकोर्ट के आदेश की समीक्षा के बाद अब निगम इसे डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं.
रांची की फ्रेंचाइजी के लिए कोलकाता इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (सीइएससी) और जमशेदपुर की फ्रेंचाइजी के लिए टाटा पावर द्वारा फ्रेंचाइजी की मांग की गयी है. इस बाबत दोनों कंपनियों ने ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी को पत्र भी लिखा है, पर इनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.
क्या है मामला
19 नवंबर 2015 को हाइकोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की निजी फ्रेंचाइजी के साथ किये गये एग्रीमेंट को रद्द करने संबंधी आदेश को खारिज कर दिया था. अदालत ने अपने फैसले में जमशेदपुर के लिए टाटा पावर कंपनी लिमिटेड व रांची के लिए रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के साथ वर्ष 2012 में किये गये करार को उचित ठहराया.
रांची पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड सीइएससी की अनुषंगी कंपनी है. अदालत ने कहा था कि बिजली वितरण का मुद्दा जनहित से जुड़ा हुआ है. इस पर जल्द से जल्द कार्रवाई शुरू की जाये. इसमें कोई कोताही नहीं बरती जायेगी.
क्या हुआ था
जमशेदपुर में बिजली फ्रेंचाइजी के लिए टाटा पावर व रांची में सीइएससी के साथ दिसंबर 2012 में जेएसइबी ने एग्रीमेंट किया था. इसके बाद विभिन्न यूनियनों द्वारा इसका विरोध भी आरंभ हो गया.
इसके कारण मामला लटकता गया. इस दौरान दोनों कंपनियों ने रांची व जमशेदपुर में अपना-अपना कार्यालय खोल लिया. वेयर हाउस का निर्माण करा लिया. इसी दौरान सरकार बदली गयी. झारखंड विद्युत बोर्ड का बंटवारा हो गया. चार कंपनियां बन गयी. इधर ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह बने. फिर उन्होंने फ्रेंचाइजी रद्द करने का आदेश दिया. इसमें कारण बताया गया कि कंपनियों को कम दर पर बिजली दी जायेगी, जिसके चलते बोर्ड को घाटा होगा.
इस पर वितरण कंपनी ने भी रद्द करने संबंधित आदेश जारी कर दिया. इसके बाद दोनों कंपनियों ने कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी. कंपनियों का तर्क था कि निविदा से उनका चयन हुआ था. करोड़ों रुपये का निवेश किया गया, इसके बाद अचानक हटा देने से उनका नुकसान हुआ है. अब कोर्ट से आदेश मिलने के बाद दोनों कंपनियां फ्रेंचाइजी लेने के लिए लगातार ऊर्जा विकास निगम को पत्र भेज रही हैं.
कुछ कहने से बच रहे अधिकारी
इधर झारखंड ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी एसकेजी रहाटे इस मामले में फिलहाल बात नहीं करना चाहते. जबकि बोर्ड के अन्य सूत्र बताते हैं कि डबल बेंच के लिए लॉ एडवाइजर से सलाह मांगा गया है. जल्द ही आगे की प्रक्रिया आरंभ की जायेगी.
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