Advertisement
पाठ्य पुस्तक वितरण: जांच कमेटी पांच माह पहले सौंप चुकी है रिपोर्ट, टेंडर में गड़बड़ी पर कार्रवाई नहीं
रांची: राज्य के सरकारी विद्यालयों में पाठ्यपुस्तक वितरण के लिए शैक्षणिक सत्र 2013-14 में किताब टेंडर में हुई गड़बड़ी के मामले में अभी कार्रवाई नहीं हुई है़ टेंडर की शर्तों में बदलाव के कारण वर्ष 2013-14 में किताब की लागत काफी बढ़ गयी थी़ इसके अलावा बच्चों की संख्या में एक वर्ष के अंदर लगभग […]
रांची: राज्य के सरकारी विद्यालयों में पाठ्यपुस्तक वितरण के लिए शैक्षणिक सत्र 2013-14 में किताब टेंडर में हुई गड़बड़ी के मामले में अभी कार्रवाई नहीं हुई है़ टेंडर की शर्तों में बदलाव के कारण वर्ष 2013-14 में किताब की लागत काफी बढ़ गयी थी़ इसके अलावा बच्चों की संख्या में एक वर्ष के अंदर लगभग दस लाख की बढ़ोतरी हुई थी़ टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत भारत सरकार को मिली थी़ इसके बाद केंद्र सरकार ने प्रकाशकों के भुगतान पर रोक लगा दी थी़.
मामले की जांच तक प्रकाशकों को भुगतान नहीं करने को कहा गया था़ भारत सरकार ने किताब टेंडर की पूरी फैक्ट फाइल मांग कर टेंडर प्रक्रिया की जांच कराने का आदेश दिया था़ शिक्षा विभाग ने मामले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की थी़, लेकिन सरकार ने सीबीआइ जांच नहीं करायी़ सरकार ने मामले की जांच के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की़ प्रारंभ में गठित कमेटी तकनीकी कारणों से मामले जांच शुरू नहीं कर सकी़ फिर से कमेटी गठित की गयी़ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में टेंडर शर्त में किये गये बदलाव से किताब छपाई की लागत में बढ़ोतरी की बात कही है़ इसके अलावा बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी पर भी कमेटी ने सवाल खड़े किये है़ वर्ष 2013-14 में किताब टेंडर के समय बीके त्रिपाठी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व झारखंड शिक्षा परियोजना के निदेशक थे़ उल्लेखनीय है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क किताब उपलब्ध कराया जाता है़ किताब के लिए 65 प्रतिशत राशि भारत सरकार व 35 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देती है़
टेंडर की गलत शर्तों से बढ़ी लागत
वर्ष 2013-14 में किताब छपाई के टेंडर की शर्त से छपाई की लागत में भारी वृद्धि हो गयी थी़ झारखंड शिक्षा परियोजना ने शैक्षणिक सत्र 2013-14 में पुस्तक छपवाने के लिए जो निविदा प्रकाशित की उसमें कई अतार्किक व गलत शर्तें जोड़ी गयीं थीं. भारत सरकार को की गयी शिकायत में कहा गया था कि एक पेपर मिल को लाभ पहुंचाने के लिए इन शर्ताें को जोड़ा गया था. टेंडर शर्त के अनुरूप प्रकाशक के पास पेपर मिल या उसके अधिकृत विक्रेता का प्रमाण पत्र होना चाहिए जो गत दो वर्ष में सरकारी किताब छपाई के लिए प्रति वर्ष औसतन तीन हजार मीट्रिक टन कागज की बिक्री कर चुका हो़ टेंडर हासिल करने के लिए यह भी अनिवार्य कर दिया गया कि संबंधित कंपनी का दैनिक उत्पादन 300 एमटी हो़ वित्तीय वर्ष 2011-12 में कंपनी के वाटर मार्क या लोगो से कम से कम 50000 एमटी 100 फीसदी बांस के कागज का उत्पादन किया गया हो़ कागज की खरीद में डीलर की क्षमता नहीं जांची जाती़ कागज की गुणवत्ता देखकर कागज क्रय किया जाता था़ टेंडर में यह शर्त लगायी गयी थी कि टेंडर वहीं कंपनी भर सकती है जिसमें प्रतिदिन 300 एमटी उत्पादन की क्षमता हो़ भारत सरकार को की गयी शिकायत में कहा गया था सभी शर्त एक कंपनी विशेष का एकाधिकार स्थापित करने के लिए किया गया था़ इससे एक विशेष पेपर मिल ने मनमाने तरीके से कागज की राशि वसूलनी़ उसने 55 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कागज की आपूर्ति की, जबकि खुले बाजार में कागज की कीमत 45 रुपये प्रति किलो थी़ बाजार दर से किताब छपाई की लागत 55 से 60 करोड़ हाेनी चाहिए थी, जो बढ़कर 99 करोड़ तक पहुंच गयी़
भारत सरकार को भेजी गयी है रिपाेर्ट
किताब टेंडर में गड़बड़ी की रिपोर्ट शिक्षा विभाग भारत सरकार को भेज चुका है़ भारत सरकार के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी़ प्रकाशकों को राशि भुगतान पर अब तक राेक लगी है़ प्रकाशकों को भारत सरकार की अनुमति के बिना राशि का भुगतान नहीं किया जायेगा़
सीवीसी के निर्देश पर रोका गया भुगतान
वर्ष 2014 -15 में सरकारी स्कूलों के 55 लाख बच्चों के लिए 99.2 करोड़ में किताबों की छपाई हुई थी़ टेंडर में घोटाला की शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को की गयी थी. मामला परियोजना परिषद में भी रखा गया था. केंद्रीय सतर्कता आयोग ने झारखंड शिक्षा परियोजना से टेंडर संबंधित जानकारी मांगी थी. आयोग द्वारा टेंडर की जांच कराने और भुगतान रोकने का निर्देश दिया गया था.
24 करोड़ बढ़ गया था बजट
वर्ष 2014-15 में किताब छपाई के खर्च में लगभग 24 करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी़ एक वर्ष के अंदर बच्चों की संख्या में भी दस लाख की वृद्धि हो गयी थी़ वर्ष 2013-14 में किताब छपाई पर लगभग 75 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 99 करोड़ हो गये़ बच्चों की संख्या में भी फरजी बढ़ोतरी की संभावना जतायी गयी थी़ अगले वर्ष जांच के दौरान कई प्रखंडों में हजारों सेट किताबें मिलीं थीं, जिनका वितरण नहीं हुआ था़
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement