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न्याय तभी, जब ईश्वर का साथ हो

रांची : कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने संत मरिया महागिरजाघर में ‘करुणा का पवित्र द्वार’ खोला़ इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने करुणा के पांचवें असाधारण जुबली वर्ष (आठ दिसंबर 2015- 20 नवंबर 2016) की घोषणा की है़ इस दौर में दुनिया भयानक हिंसा और विद्वेष से घिरी हुई है़ विशेष कर […]

रांची : कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने संत मरिया महागिरजाघर में ‘करुणा का पवित्र द्वार’ खोला़ इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस ने करुणा के पांचवें असाधारण जुबली वर्ष (आठ दिसंबर 2015- 20 नवंबर 2016) की घोषणा की है़ इस दौर में दुनिया भयानक हिंसा और विद्वेष से घिरी हुई है़

विशेष कर भूमध्य सागर के तटीय क्षेत्रों मे़ं करोड़ों की संख्या में लोग अपने घरों व क्षेत्रों से पलायन कर रहे है़ं हम अपने आसपास भी हिंसा और विद्वेष के कारण लड़ाई- झगड़ों और विस्थापन की घटनाओं को पढ़ते सुनते है़ं रोजगार के लिए पुरुषों के अलावा हमारी बेटियां और बहनें भारी संख्या में महानगरों में जाकर अत्याचार और शोषण की शिकार हो रही है़ं कार्डिनल ने कहा कि मानव समुदाय मेें करुणा,दया और क्षमा की भावनाएं लगातार घट रही है़ं

हम जानते हैं कि इसके बिना शांति, साहचर्य और विकास नहीं हो सकता़ न्याय तभी आ सकता है जब हमारे बीच ईश्वर की उपस्थिति हो़ उन का साथ हो़ ऐतिहासिक तौर पर छोटानागपुर की कलीसिया पर ईश्वर की विशेष करुणा बरसती रही है़ विश्वस्तर पर इसी माह की आठ तारीख को माता मरियम के निष्कलंक गर्भागमन महापर्व पर रोम में इसकी शुरुआत हो चुकी है़

सांत्वना, क्षमा व आशा का अनुभव
उन्होंने कहा कि संत पिता फ्रांसिस की इच्छा है कि रोम में संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र द्वार खुलने के बाद दुनिया भर में गिरजाघरों के पवित्र द्वार भी खोल दिये जाये़ें उनकी इच्छा है कि यह पवित्र द्वार करुणा का द्वार हो़ करुणा का द्वार कभी बंद नहीं होता और वहां कभी रात नहीं होती़
इससे हो कर प्रवेश करने वाला हर व्यक्त ईश्वर की करुणा अर्थात सांत्वना, क्षमा और आशा का अनुभव करेगा़ समारोह में बिशप थियोडोर मास्करेन्हास, बिशप तेलेस्फोर बिलुुंग, फादर अजय लकड़ा, फादर सेबेस्तियन तिर्की, फादर आनंद डेविड व अन्य मौजूद थे़
दया के कार्य करने का निर्देश
इस मौके पर विश्वासियों को करुणा की जुबली वर्ष में दया के शारीरिक व आध्यात्मिक कार्यों के लिए निर्देश दिये गये़ दया के शारीरिक कार्यों में भूखों को खिलाना, प्यासों को पिलाना, वस्त्रहीनों को वस्त्र पहनाना, बेघरों को आश्रय देना, रोगियों से मुलाकात करना, कैदियों से मिलना व मृतकों को दफनाना और आध्यात्मिक कार्यों में भ्रमितों का मार्गदर्शन करना,
अज्ञानियों को शिक्षा देना, पापियों को सचेत करना, पीड़ितों को दिलासा देना, सताहट को धैर्य से सहना, अपराधियों को क्षमा करना और मृतकों के लिए प्रार्थना करना शामिल है़ं

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