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लाइसेंस सर्फि एक को, चल रहे हैं 16 क्रशर…..दो तसवीर है

लाइसेंस सिर्फ एक को, चल रहे हैं 16 क्रशर…..दो तसवीर हैबिजली कैसे मिल गयी, यह है बड़ा सवालअवैध उत्खनन कर घर भर लिया माफियाअों ने संजय, रांचीटाटीसिलवे के पास पत्थर का अवैध उत्खनन चरम पर है. गत कई वर्षों से चल रहे पहाड़-पठार तोड़ने वाले इस खनन के बारे में सबको पता है, लेकिन पुलिस […]

लाइसेंस सिर्फ एक को, चल रहे हैं 16 क्रशर…..दो तसवीर हैबिजली कैसे मिल गयी, यह है बड़ा सवालअवैध उत्खनन कर घर भर लिया माफियाअों ने संजय, रांचीटाटीसिलवे के पास पत्थर का अवैध उत्खनन चरम पर है. गत कई वर्षों से चल रहे पहाड़-पठार तोड़ने वाले इस खनन के बारे में सबको पता है, लेकिन पुलिस से लेकर दूसरे महकमे के लोग इसकी कीमत वसूल कर अनजान बने हुए हैं. टाटीसिलवे के चतरा गांव से एक सड़क गंगाघाट होकर जरगा-पैका व इससे आगे जाती है. यह इलाका अनगड़ा प्रखंड का हिस्सा है, जबकि टाटीसिलवे थाने से इसकी नजदीकी है. इसी सड़क पर टाटीसिलवे से बमुश्किल पांच-सात किमी की दूरी तक में पत्थर तोड़ने के करीब 16 क्रशर चल रहे हैं. ये क्रशर ढेलुवाखूंटा व बूढ़ीबेड़ा के आसपास अधिक हैं. इनमें से कई पेड़-पौधों व झाड़ियों से छिपे तथा मुख्य मार्ग से हट कर जंगलों में हैं. जिला खनन कार्यालय से मिली सूचना के मुताबिक इन क्रशरों में से सिर्फ एक वैध है. चतरा मौजा के 191, 192 व 193 नंबर प्लॉट के कुल 3.53 एकड़ रकबा का पत्थर निकालने के लिए उमेश प्रसाद, पिता स्व नागेंद्र साहू को लाइसेंस प्राप्त है. अन्य सभी क्रशर बगैर लाइसेंस के हैं. इन्हें बिजली कनेक्शन मिल जाना भी कई सवाल खड़े करता है. दो दशक से चल रहा अवैध उत्खनन का धंधा अवैध उत्खनन का यह धंधा कोई साल दो साल से नहीं बल्कि दो दशकों से चल रहा है. अवैध उत्खनन रोकने सहित पर्यावरण की चिंता करती सरकार व जिला प्रशासन की यह चिंता कभी कार्रवाई में नहीं बदली. ग्रामीणों के अनुसार दिन-रात चलने वाले इस धंधे ने उनके जीवन से चैन व सुकून छीन लिया है. इस मार्ग पर छोटे ट्रक व ट्रैक्टर की आवाजाही सिर्फ अोर सिर्फ पत्थर ढोने के लिए होती है. ढेलुआखूंटा के पास पत्थर तोड़ कर दो-दो खाई बना दी गयी है. वहां से अब भी पत्थर निकाला जा रहा है. वहीं सड़क के दायीं अोर एक पहाड़ को बीच से ही काट दिया गया है. स्थानीय लोग ही चला रहे हैं क्रशर टाटीसिलवे से ढेलुआखूंटा तक सड़क जर्जर व धूलभरी है. पर इस मार्ग पर चलती महंगी गाड़ियों (फोर्ड फिगो, इकोस्पोर्ट, स्वीफ्ट डिजायर व अन्य) से इलाके के खास होने का अहसास होता है. सूत्रों के मुताबिक क्रशर चला रहे ज्यादातर लोग स्थानीय हैं, जो अवैध खनन वर्षों से बगैर किसी रोक-टोक के कर रहे हैं. यह बात भी लोग बताते हैं कि टाटीसिलवे से अनगड़ा तक कई बार पकड़े गये जिलेटिन व अन्य विस्फोटक इसी खनन कारोबार के लिए होते हैं. विस्फोटक पकड़े जाने पर खनन माफियाअों का यह पूरा प्रयास रहता है कि विस्फोटक बरामदगी का संबंध क्रशर के साथ होने से रोका जाये, ताकि उनके धंधे पर आंच न अाए. पुलिस भी इसमें सहयोग करती रही है. अवैध खनन व परिवहन रोकने का विभागीय संकल्प (दिनांक- अाठ जुलाई 2015, खान व भूतत्व विभाग)- जिलों में स्वीकृत सभी खनिज (लघु व वृहत) के पट्टों व खनिज विक्रेताअों की सूची जिलों में उपायुक्त, आरक्षी अधीक्षक व वन प्रमंडल पदाधिकारी को जिला खनन पदाधिकारी संकल्प जारी होने के 10 दिनों के अंदर सौंप देंगे. जिला प्रशासन को सभी अवैध खनन स्थल चिह्नित करने का दायित्व होगा.- जिला स्तरीय टास्क फोर्स तीन माह तक लगातार विशेष अभियान चलाकर केंद्रीय व अर्द्धसैनिक बल/जिला बल के सहयोग से अवैध खनन, परिवहन व भंडारण स्थल पर लगातार छापेमारी करेगा. टास्क फोर्स को नियम-कानून के प्रावधानों के आलोक में विधिसम्मत कार्रवाई जैसे परिवाद अादि सक्षम न्यायालय में करना है तथा इसकी रिपोर्ट विभाग को हर माह भेजना है.- जिला खनन पदाधिकारी ऊर्जा विभाग को वैसे क्रशर चिह्नित कर कार्रवाई करने का अनुरोध करेंगे, जिनके पास खनिज भंडारण लाइसेंस या खनन पट्टा स्वीकृत नहीं है, ताकि अवैध बिजली कनेक्शन काटा जा सके.(संकल्प में इसके अलावा भी कई बिंदु शामिल हैं)

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