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खरसावां गोलीकांड : शहीदों के आश्रितों को सम्मानित करेंगे सीएम

सुनील चौधरी रांची : खरसावां गोली कांड के शहीदों के परिजनों की तलाश राज्य सरकार कर रही है. एक जनवरी 2016 को इन्हें मुख्यमंत्री रघुवर दास सम्मानित करेंगे और शहीदों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा भी देंगे. आजाद भारत का यह सबसे बड़ा गोलीकांड माना जाता है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक जनवरी […]

सुनील चौधरी
रांची : खरसावां गोली कांड के शहीदों के परिजनों की तलाश राज्य सरकार कर रही है. एक जनवरी 2016 को इन्हें मुख्यमंत्री रघुवर दास सम्मानित करेंगे और शहीदों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा भी देंगे. आजाद भारत का यह सबसे बड़ा गोलीकांड माना जाता है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक जनवरी 2015 को खरसावां गोलीकांड के शहीदों के आश्रितों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी. इसके बाद से ही आश्रितों की तलाश की जा रही है. एक जनवरी को पुन: मुख्यमंत्री वहां जायेंगे. मुख्यमंत्री सचिवालय से लगातार जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी जा रही है. परिजनों की पहचान के लिए दबाव भी दिया जा रहा है. खबर है कि अबतक तीन लोगों की पहचान की गयी है. बाकी की तलाश चल रही है.
सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन ने टीम गठित की : शहीदों के परिजनों की खोज के लिए सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है. टीम में एडीएम संदीप कुमार बरायबुड़ू, खरसावां के बीडीओ, सीओ, डीएसपी मुख्यालय व खरसावां थाना प्रभारी शामिल हैं.
ओड़िशा और बिहार सरकार से संपर्क किया गया : सरायकेला-खरसावां के डीसी चंद्रशेखर ने बताया कि प्रमाणिक दस्तावेज की तलाश की जा रही है. टीम के लोग मयूरभंज भी गये. कटक भी गये हैं.
सरायकेला के डीपीआरओ को पटना भेजा गया. डीपीआरओ ने बिहार सरकार के आर्काइव में जाकर दस्तावेजों की छानबीन की, पर उन्हें भी सफलता नहीं मिली है. बताया गया कि हर संभावित जगह पर प्रमाणिक दस्तावेज की तलाश की जा रही है, ताकि शहीदों के परिजनों की पहचान की जा सके.
शहीद पार्क बन रहा है : खरसावां हाट मैदान में शहीद पार्क का निर्माण किया जा रहा है. डेढ़ करोड़ की लागत से वन विभाग द्वारा पार्क का निर्माण किया जा रहा है. निर्माण कार्य अंतिम चरण में चल रहा है.
क्या है खरसावां गोलीकांड
एक जनवरी 1948 को खरसावां हाट में 50 हजार से अधिक आदिवासियों की भीड़ पर ओड़िशा मिलिटरी पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की थी, िजसमें कई आदिवासी मारे गये थे. आदिवासी खरसावां को ओड़िशा में विलय किये जाने का विरोध कर रहे थे. आदिवासी खरसावां को बिहार में शामिल करने की मांग कर रहे थे. आजाद भारत का यह सबसे बड़ा गोलीकांड माना जाता है.

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