रांची: झारखंड के छोटे-छोटे इलाके से निकल कर कई युवा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंच पर अपनी प्रतिभा को साबित कर रहे हैं. इन्हीं में एक युवा हैं निरंजन कुमार कुजूर. निरंजन की शॉर्ट फिल्म पहाड़ा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल इंडिया (आइएफएफआइ) 2013 के लिए चयनित हुई है. फिल्म का निर्माण सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटय़ूट के तत्वावधान में हुआ है.
कुड़ुख भाषा में बनी इस फिल्म का लेखन, स्क्रीनप्ले व डायरेक्शन निरंजन कुजूर ने किया है. निरंजन फिलहाल सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटय़ूट में डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले राइटिंग के तीसरे वर्ष के विद्यार्थी हैं. झारखंड के वरिष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर श्रीप्रकाश ने भी पहाड़ा के चयन पर खुशी व्यक्त किया है. इस फिल्म की स्क्रीनिंग इमेजिन इंडिया फिल्म फेस्टिवल मैड्रिड स्पेन में 2012 में भी की जा चुकी है.
क्या है कहानी : पहाड़ा की कहानी है आठ वर्षीय बालक मुन्नू की. वह पिछले कुछ समय से तेरह का पहाड़ा याद करने के लिए जूझ रहा है. उसके पिता उसे चेतावनी देते हैं कि यदि वह पहाड़ा याद नहीं कर पाया तो उसे पेड़ पर बांध देंगे. पर, मुन्नू का ध्यान अपनी खिलौनेवाली बैलगाड़ी व खेल पर ही ज्यादा रहता हैं.
मुन्नू के उस नक्सल प्रभावित गांव में जब पारा मिलिट्री फोर्स पहुंचती है, तो अचानक ही माहौल बदल जाता है. ऐसे में मुन्नू के परिवार और खुद मुन्नू इस परिस्थिति से किस तरह निकल पाता है? वे किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, यह फिल्म इसी विषय पर आधारित है. फिल्म में मुन्नू की भूमिका अमृत उरांव, उसके पिता की भूमिका महादेव टोप्पो, मां की भूमिका सुमित्र टोप्पो एवं पड़ोसी की भूमिका सीमा भगत ने निभायी है. इसका निर्माण इंस्टीटय़ूट के सेट पर हीकिया गया है.