ग्राम न्यायालय को लेकर छह प्रखंडों में भवन आवंटित
सतीश कुमार
रांची : अब विभिन्न पंचायतों में रहनेवाले लोगों को न्याय के लिए जिला न्यायलयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. उनके मामलों का निबटारा अब प्रखंड में ही हो जायेगा. सरकार ने ग्राम न्यायालय को क्रियाशील बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ग्राम न्यायालयों के लिए न्यायिक अधिकारी और सहायकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.
भवन के अभाव में ग्राम न्यायालय का काम प्रखंडों में शुरू नहीं हो पा रहा था. सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रांची के दो, दुमका, देवघर, कोडरमा और जमशेदपुर के एक-एक प्रखंड में ग्राम न्यायालय के भवन का आंवटन कर दिया है. इसकी सूचना हाइकोर्ट को भी भेज दी गयी है. ग्राम न्यायालय का अधिकारी न्याय अधिकारी कहलायेगा. इनके पास प्रथम श्रेणी की न्यायिक शक्तियां होंगी.
वह उन सभी मामलों में न्याय दे सकेगा, जिसमें दो साल से अधिक की सजा नहीं होती हो. इसके अलावा साधारण चोरी (379), घर में घुस कर चोरी (380), किसी क्लर्क या नौकर के द्वारा की गयी चोरी (381), जिसमें चोरी की गयी वस्तु का मूल्य भी 20 हजार रुपये से अधिक नहीं हो. अगर कोई चोरी का सामान खरीदता है और उसका मूल्य भी 20 हजार रुपये तक हो, तो वह केस ले सकता है. चोरी के माल को बिकवाने (भादवि की धारा 414) के मामले की भी वह सुनवाई कर सकता है, बशर्ते सामान 20 हजार रुपये से ज्यादा का नहीं हो. अगर कोई किसी के घर में अपराध करने की नीयत से घुसता है (454-456) है, तो उस मामले को भी ग्राम न्यायालय देख सकता है. इसके अलावा अगर कोई शांति भंग करने की धमकी (504 व 506) दे रहा है, तो उस मामले को भी वह देख सकता है. इस तरह के अपराधों को प्रोत्साहित करने वालों को भी दंडित कर सकता है.
यह फौजदारी क्षेत्राधिकार है. दिवानी क्षेत्राधिकार के तहत न्यूनतम वेतन से कम वेतन देने का मामला, छुआछूत का मामला, पुत्र, पत्नी या पिता को गुजारा भत्ता देने का मामला (125) भी वह देख सकता है. ग्राम न्यायालय बंधुआ मजदूर के मामले को भी देखेगा. लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव, घरेलू हिंसा के मामले देखने का भी उसे अधिकार है.