खलारी. चदराधौड़ा निवासी बीमार आदिवासी बहनें सोनी व कबूतरी इलाज के लिए दर-दर भटक रही है. लंबे समय तक भरती रखने के बाद सीसीएल के डकरा स्थित केंद्रीय अस्पताल ने खून चढ़ाने की सुविधा नहीं होने का हवाला देकर उन्हें लौटा दिया. एक निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि के आश्वासन पर समाजसेवी दिलीप पासवान आठ जुलाई को सोनी को लेकर रांची सेवा सदन पहुंचे. वहां भरती कराने पर चिकित्सक ने जांच के लिए 12 हजार रुपये का खर्च बताया. जब श्री पासवान ने निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी को इस संबंध में बताया, तो उन्होंने इतनी बड़ी रकम देने से इनकार कर दिया. मजबूरी में बिना इलाज कराये सोनी को खलारी लौटना पड़ा. नौ जुलाई को सोनी को लेकर दिलीप रिम्स के मेडिसिन विभाग पहुंचे. जांच रिपोर्ट आने के डॉक्टर ने दवा की परची लिख कर दे दी, लेकिन भरती करने से इनकार कर दिया. चिकित्सक के अनुसार उसे भरती करने की आवश्यकता नहीं है. रिम्स की जांच रिपोर्ट में सोनी का हिमोग्लोबिन 7़3 ग्राम बताया गया, जबकि केंद्रीय अस्पताल डकरा में पांच ग्राम बताया गया था.
इलाज के लिए भटक रही हैं आदिवासी बहनें….ओके
खलारी. चदराधौड़ा निवासी बीमार आदिवासी बहनें सोनी व कबूतरी इलाज के लिए दर-दर भटक रही है. लंबे समय तक भरती रखने के बाद सीसीएल के डकरा स्थित केंद्रीय अस्पताल ने खून चढ़ाने की सुविधा नहीं होने का हवाला देकर उन्हें लौटा दिया. एक निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि के आश्वासन पर समाजसेवी दिलीप पासवान आठ […]
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