रांची : निगरानी के विशेष न्यायाधीश मो शाकिर की अदालत ने गबन से संबंधित मामले में राम विनोद सिन्हा (जेई) एवं आरके जैन (एइ) को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनायी है. दोनों को भादवि की धारा 409 के तहत पांच साल कारावास एवं 20-20 हजार जुर्माना लगाया गया है.
जुर्माना नहीं देने पर छह माह साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी. इसके अलावा पीसी एक्ट की धारा 13 (1)(डी) के तहत दो साल की कारावास की सजा व 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना नहीं देने पर तीन माह की सजा भुगतनी होगी.
यह मामला खूंटी थाना कांड संख्या 115/10 से जुड़ा है.
निगरानी के विशेष लोक अभियोजक एके गुप्ता ने जानकारी दी कि खूंटी में संयुक्त सहकारिता भवन का निर्माण के लिए सरकार की ओर से चेक के द्वारा एक करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायी गयी थी.
कार्य में अपेक्षित प्रगति नहीं होने पर 70 लाख की राशि लौटा दी गयी थी. 30 लाख से भवन निर्माण कराया जा रहा था. दोनों अभियुक्तों ने 30 लाख रुपये के काम पूरा होने की जानकारी विभाग को दी थी. पर खूंटी के उपायुक्त के द्वारा जांच कराये जाने पर पता चला कि सिर्फ छह लाख 90 हजार रुपये का काम कराया गया. शेष राशि का दोनों अभियुक्तों ने गबन कर लिया था. इस मामले में तीन अक्तूबर 2010 को मामला दर्ज कराया गया था.
रिश्वत के आरोपियों
को भेजा गया जेल
रांची : निगरानी के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद शाकिर की अदालत में रिश्वत के आरोपी ब्रजेश कुमार एवं प्रशांत कुमार की पेशी हुई. दोनों को अदालत ने नौ जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
लघु सिंचाई प्रमंडल हजारीबाग में ब्रजेश कुमार एकाउंटेंट क्लर्क एवं प्रशांत कुमार कैशियर के पद पर कार्यरत थे. दोनों को निगरानी की टीम ने बुधवार को एक लाख रुपये रिश्वत की राशि के साथ रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. दोनों के खिलाफ साधना कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आशीष कुमार ने निगरानी कोषांग में मामला दर्ज कराया था.