मुंबई. सरकार की ओर से किशोरियों के बीच सैनिटरी नैपकीन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने जैसे अभियानों कारण महिलाओं की व्यक्तिगत स्वच्छता का बाजार वर्ष 2018 तक करीब 2,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. यह बात एक रिपोर्ट में कही गयी है. लेखा-परीक्षण कंपनी डेलॉयट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, देश की प्रजनन आयु समूहवाली 10 प्रतिशत से भी कम महिलाएं माहवारी के दौरान होनेवाले संक्रमण के प्रति सचेत हैं और सैनिटरी नैपकीन इस्तेमाल करती हैं. जॉन्सन एंड जॉन्सन द्वारा ‘वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे’ पर आयोजित इस चर्चा में अभिनेत्री गुल पनाग एवं अन्य लोगों ने भाग लिया और रिपोर्ट पर चर्चा हुई. अध्ययन के अनुसार, देश की करीब 70 प्रतिशत महिलाएं सिनैटरी नैपकीन खरीदने में समर्थ नहीं हैं, जबकि 20 प्रतिशत से अधिक किशोरियां केवल माहवारी के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं. 35.5 करोड़ में से केवल 12 प्रतिशत महिलाएं माहवारी के दौरान सिनैटरी नैपकीन प्रयोग करती हैं, जबकि शेष 88 प्रतिशत महिलाएं सिनैटरी नैपकीन के स्थान पर फटे-पुराने कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं.
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दो हजार करोड़ का होगा महिला स्वच्छता बाजार
मुंबई. सरकार की ओर से किशोरियों के बीच सैनिटरी नैपकीन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने जैसे अभियानों कारण महिलाओं की व्यक्तिगत स्वच्छता का बाजार वर्ष 2018 तक करीब 2,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. यह बात एक रिपोर्ट में कही गयी है. लेखा-परीक्षण कंपनी डेलॉयट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, देश की प्रजनन […]
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