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खान एवं भूतत्व विभाग के सेवानिवृत्त निदेशक जेपी सिंह ने कहा सुरक्षित जोन में है झारखंड

रांची: खान एवं भूतत्व विभाग के सेवानिवृत्त भूतत्व निदेशक जेपी सिंह का कहना है कि झारखंड भूकंप से सुरक्षित जोन में आता है. यहां के लोगों को ज्यादा भयभीत होने की जरूरत नहीं है. फिर भी भूकंप आये तो एहतियात बरतना चाहिए. यह ऐसा क्षेत्र है जहां नुकसान कम होगा. श्री सिंह ने बताया कि […]

रांची: खान एवं भूतत्व विभाग के सेवानिवृत्त भूतत्व निदेशक जेपी सिंह का कहना है कि झारखंड भूकंप से सुरक्षित जोन में आता है. यहां के लोगों को ज्यादा भयभीत होने की जरूरत नहीं है. फिर भी भूकंप आये तो एहतियात बरतना चाहिए. यह ऐसा क्षेत्र है जहां नुकसान कम होगा. श्री सिंह ने बताया कि पूरी धरती 21 अलग-अलग प्लेटों से बनी हुई है, परंतु सभी प्लेट एक दूसरे से सटे हुए हैं. इन्हीं प्लेटों के खिसकने अथवा प्लेट के अर्धठोस पदार्थ एवं तरल के घूमने के कारण अथवा प्लेट के आपस में टकराने से भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है.
श्री सिंह ने बताया कि यहां जानना आवश्यक है कि धरती के नीचे कई परत होते हैं जिसे क्रस्ट, मेंटेल एवं कोर कहा जाता है. क्रस्ट की मोटाई 15 किमी से 30 किमी मानी गयी है. जिस पर पहाड़, जमीन, नदियां एवं सागर स्थित है. मेंटल की गहराई लगभग 2900 किमी है. इससे अर्ध ठोस पदार्थ एमजी, एफइ, एएल, एसआइ एवं ओ रहता है. इसी प्रकार अंतिम भाग को कोर कहा जाता है जो मूलत: द्रव्य रहता है तथा इसकी गहराई 5200 किमी एवं तापमान 3700-4300 डिग्री है. श्री सिंह ने बताया कि भारतीय प्लेट के दक्षिण में यूरेसियन प्लेट है, इन्हीं प्लेट के नीचे हलचल अथवा प्लेट खिसकने के कारण काठमांडू एवं भारत के विभिन्न राज्यों में पिछले दिनों व अब भूकंप महसूस किये गये. 10 किमी से अधिक गहराई तक भूकंप के उत्पन्न का स्थान हो तो ऐसा भूकंप प्रलयंकारी नहीं होता है. भूकंप से उत्पन्न गति की तीव्रता रिक्टर स्केल पर चार से कम हो तो भी यह प्रलयंकारी नहीं होता है. तीव्रता छह से अधिक होने पर भूकंप विनाशकारी होता है.
तीव्रता के आधार पर पांच जोन में बंटा है जोन : श्री सिंह ने बताया कि भूकंप को पांच श्रेणी में बांटा गया है. प्रथम जोन में भूकंप की तीव्रता शून्य से कम होती है. द्वितीय एवं तृतीय जोन में भूकंप की तीव्रता क्रमश: कम एवं मध्यम रहती है. वहीं जोन चार एवं पांच में भूकंप की तीव्रता गहन एवं अतिगहन होती है, जो विनाशकारी होती है.
झारखंड जोन एक से तीन के बीच
श्री सिंह ने बताया कि झारखंड राज्य का संपूर्ण क्षेत्र जोन एक से तीन में आता है. झारखंड का उत्तरी क्षेत्र जो गंगा नदी से सटा है वह जोन चार में आता है. यहां भूकंप की तीव्रता प्रलयवाली हो सकती है. खासकर कच्चे अथवा बिना मजबूत पिलर के बने घरों के लिए. झारखंड राज्य के रांची, गुमला, लोहरदगा जिला आदि का क्षेत्र भूकंप के शून्य से कम तीव्रता वाले क्षेत्र में आता है. झारखंड में कई थ्रस्ट जोन है. इसमें सिंहभूम थ्रस्ट जोन प्रमुख है. परंतु ये हजारों वर्षो से स्थिर हैं इनमें कोई गति नहीं हुई है. इस प्रकार कहा जा सकता है कि भूकंप की दृष्टिकोण से झारखंड सुरक्षित है. केवल गोड्डा एवं साहेबगंज जिलों को छोड़ शेष हिस्सा कम भूकंपीय तीव्रता वाले क्षेत्र में हैं. झारखंड के अधिकांश क्षेत्र पुराने व मोटे चट्टानों से बना हुआ है. इन चट्टानों की गहराई में किसी प्रकार की गति की कोई संभावना नहीं है.

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