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एसएसपी ने अफसरों व अस्पताल प्रबंधकों के साथ की बैठक

सड़क दुर्घटना के घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए शहरी क्षेत्र में छह एंबुलेंस और ग्रामीण क्षेत्र में होंगे दो एंबुलेंस रांची : जमशेदपुर की तर्ज पर एक्सीडेंट रेस्पांस एंड मेडिकल एसिस्टेंस रांची (अरमार) योजना के अंतर्गत रांची के शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में दुर्घटना में घायल होने पर पुलिस घायल को इलाज के […]

सड़क दुर्घटना के घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए शहरी क्षेत्र में छह एंबुलेंस और ग्रामीण क्षेत्र में होंगे दो एंबुलेंस
रांची : जमशेदपुर की तर्ज पर एक्सीडेंट रेस्पांस एंड मेडिकल एसिस्टेंस रांची (अरमार) योजना के अंतर्गत रांची के शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में दुर्घटना में घायल होने पर पुलिस घायल को इलाज के लिए घटना स्थल से नजदीक के अस्पताल में भरती करायेगी.
घायल को अस्पताल तक एंबुलेंस से पहुंचाया जायेगा. इसके लिए घायल व्यक्ति से पैसे नहीं लिये जायेंगे. लेकिन इलाज में जो खर्च होगा, उसका वहन घायल के परिजनों को करना होगा.
इसका निर्णय मंगलवार को एसएसपी ने मेडिका, टाटा स्टील और विभिन्न अस्पताल के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद लिया है. एसएसपी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि अभी पुलिस की ओर से घटना स्थल से नजदीकी अस्पताल तक घायल को पहुंचाने के लिए आठ एंबुलेंस की व्यवस्था की गयी है. जिसमें छह एंबुलेंस शहरी क्षेत्र में होंगे. इसके अलावा दो एंबुलेंस ग्रामीण क्षेत्र में होंगे. एंबुलेंस में एक चालक, घायलों का प्राथमिकी उपचार करने के लिए कुछ प्रशिक्षित लोग और सिपाही होंगे.
चालक और अन्य पर जो खर्च होगा, उसका वहन पुलिस मेडिका और टाटा स्टील मिल कर करेगी. एसएसपी ने बताया कि घायलों के इलाज के लिए मेडिका अस्पताल और टाटा स्टील के साथ एक एग्रीमेंट तैयार किया गया है. एंबुलेंस कहां-कहां होंगे. इसके साथ ही अन्य बिंदुओं पर अंतिम निर्णय लेने के लिए एक और बैठक होगी. इस योजना की शुरुआत मई माह के पहले सप्ताह में होगी. इसकी सफलता सुनिश्चित की जा रही है.
कैसे काम करेगा यह सिस्टम
एसएसपी ने बताया कि अभी जब संबंधित थाना या कंट्रोल रूम को किसी के घायल होने की सूचना मिलती है. तब संबंधित घायल को ऑटो या पुलिस जीप से अस्पताल तक पहुंचाया जाता है.
इसमें काफी विलंब भी होता है.अरमार योजना के तहत एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जायेगा. इसके साथ ही पुलिस को जब किसी के घायल होने की सूचना मिलेगी. तब पुलिस इसकी सूचना घटना स्थल से नजदीक के एंबुलेंस को देगी. जिसके बाद घायल को अस्पताल तक पहुंचाया जायेगा. एसएसपी ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत यह भी देखा जायेगा कि किसी व्यक्ति को चोट कहां लगी, ताकि संबंधित घायल व्यक्ति को उसके विशेषज्ञ चिकित्सक के पास इलाज के लिए भेजा जा सके.
गोल्डेन आवर सिस्टम हो चुका है विफल
दुर्घटना में घायल व्यक्ति को समय पर इलाज मिल सके, ताकि उसकी जान बच सके. इसके लिए तत्कालीन ट्रैफिक एसपी राजीव रंजन ने गोल्डेन आवर सिस्टम की शुरुआत की थी.
इस योजना के तहत भी घायल को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था थी. घायल का प्रारंभिक उपचार मुफ्त में किया जाना था. योजना के तहत कुछ दिनों तक घायलों का इलाज भी हुआ. लेकिन बाद में धीरे-धीरे यह योजना फेल हो गयी. सिस्टम फेल होने और अरमार योजना कितनी सफल होगी. इस संबंध में पूछे जाने पर एसएसपी प्रभात कुमार ने बताया कि पूर्व की योजना में जब किसी अस्पताल के पास एंबुलेंस के लिए फोन किया जाता था.
तब यह पता चलता था अस्पताल का एंबुलेंस किसी दूसरे मरीज को लाने गया है. इस लिए इसमें परेशानी होती थी. अब एंबुलेंस खुद पुलिस के पास है. इसलिए संबंधित अस्पताल के चिकित्सकों का काम सिर्फ घायल का इलाज है. इसलिए यह योजना पूरी तरह सफल होगी. इस अरमार सेवा का कमांड सेंटर बूटी मोड स्थित भगवान महावीर मेडिका सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में रहेगा. परिसर में विशेष कंट्रोल रूम का निर्माण किया जा रहा है.

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