प्रत्येक वर्ष देनी है आमदनी की जानकारी, चार वर्ष बाद सरकार ने दिया नोटिस
चार वर्षो से एक भी स्कूल ने नहीं दिया सरकार को आय-व्यय की ब्योरा
झारखंड में वर्ष 2010 से प्रभावी है शिक्षा का अधिकार अधिनियम
प्रशासन नहीं करता कार्रवाई
रांची : निजी स्कूलों को सरकार ने ही मनमानी की छूट दे रखी है. शिक्षा के अधिकार (राइट टू एजुकेशन) अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा आठ तक की पढ़ाई को इसके तहत लाया गया है.
कक्षा आठ तक के लिए निजी स्कूलों को भी इस अधिनियम के तहत मान्यता लेनी है. प्राइवेट स्कूल अगर आरटीइ के तहत मान्यता ले लेते, तो उनके लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम की शर्तो का पालन अनिवार्य हो जाता. प्राइवेट स्कूल पर भी सरकार का नियंत्रण होता. स्कूलों की मनमानी पर रोक लगती. मान्यता नहीं लेने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है. इसके तहत अर्थ दंड से लेकर स्कूल बंद करने तक का प्रावधान है, लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है.
अधिनियम की धारा 12 एक के तहत राज्य में कक्षा आठ तक के सभी कोटि के प्राइवेट स्कूलों को इसके तहत मान्यता लेनी है. वैसे स्कूल, जो किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं, उन्हें भी इसके तहत नोडल पदाधिकारी को स्कूल संचालन से संबंधित जानकारी देनी है. इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को मान्यता लेने का निर्धारित समय 31 मार्च 2013 को समाप्त हो गया, लेकिन स्कूलों ने मान्यता नहीं ली.
इसके बावजूद सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. प्रबंधन से यह भी नहीं पूछा गया कि स्कूलों ने मान्यता क्यों नहीं ली. इन स्कूलों को प्रत्येक वर्ष अपने आय-व्यय का ब्योरा भी सरकार को देना है. गत चार वर्षो से स्कूलों ने निर्धारित मापदंड के अनुरूप कोई जानकारी नहीं दी. इसके बाद भी सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अब चार वर्षो के बाद जिला शिक्षा अधीक्षक ने इन स्कूलों से गत तीन वर्ष के आय-व्यय का ब्योरा मांगा है.
डीएसइ हैं नोडल पदाधिकारी : शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के पालन के लिए सभी जिलों में जिला शिक्षा अधीक्षक को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. स्कूलों से शिक्षा के अधिकार अधिनियम के पालन की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधीक्षक की है. पर जिला शिक्षा अधीक्षक इसमें कोई रुचि नहीं दिखाते हैं.
राज्य के अधिकतर जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक शिक्षा अधिकार अधिनियम को लेकर गंभीर नहीं है. स्कूलों की मान्यता के लिए सरकार द्वारा प्रपत्र जारी किया गया था. मान्यता लेने से स्कूलों की विस्तृत जानकारी सरकार के पास होती.