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बोर्ड व सुविधाएं समान, फीस में पांच गुना अंतर

रांची में संचालित निजी स्कूलों के शुल्क में एकरूपता नहीं सुनील कुमार झा रांची : नये सत्र की शुरुआत में निजी स्कूलों की ओर से एनुअल व डेवलपमेंट फीस के नाम पर लिये जानेवाले शुल्क में एकरूपता नहीं है. एक समान सुविधावाले स्कूलों की एनुअल फीस में भी काफी अंतर है. इन विद्यालयों में बच्चों […]

रांची में संचालित निजी स्कूलों के शुल्क में एकरूपता नहीं
सुनील कुमार झा
रांची : नये सत्र की शुरुआत में निजी स्कूलों की ओर से एनुअल व डेवलपमेंट फीस के नाम पर लिये जानेवाले शुल्क में एकरूपता नहीं है. एक समान सुविधावाले स्कूलों की एनुअल फीस में भी काफी अंतर है. इन विद्यालयों में बच्चों को लगभग एक समान सुविधाएं दी जाती हैं. रिजल्ट के मामले में भी अधिक शुल्क लेनेवाले कई स्कूल बेहतर नहीं कर पाते. इसके बाद भी अभिभावकों से मोटी रकम वसूलते हैं.
राजधानी में एक समान बोर्ड से मान्यता प्राप्त कैराली स्कूल, धुर्वा और टेंडर हर्ट स्कूल, तुपुदाना के वार्षिक शुल्क में करीब पांच गुने का अंतर है. दोनों स्कूलों में लगभग एक समान सुविधाएं हैं. कैराली स्कूल में वार्षिक शुल्क 2370 रुपये लिये जाते हैं, वहीं टेंडर हर्ट में 12500 रुपये.
कैराली स्कूल सोसाइटी के माध्यम से संचालित होता है, जबकि टेंडर हर्ट प्राइवेट संचालक के माध्यम से. राजधानी में सोसाइटी के माध्यम से संचालित होनेवाले स्कूलों के शुल्क और फैसले सोसाइटी की ओर से तय किये जाते हैं. वहीं, प्राइवेट संचालक अपने स्तर से शुल्क का निर्धारण करते हैं.
प्राइवेट संचालकों की ओर से संचालित अधिकतर स्कूल राज्य गठन के बाद खुले हैं. इन स्कूलों के शुल्क में काफी तेजी से वृद्धि हुई है.
सरकार ने नहीं बनाया कोई कानून : निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण व निर्धारण के लिए हाइकोर्ट के आदेश पर मानव संसाधन विकास विभाग ने छह माह पूर्व कमेटी का गठन किया था.
जैक के अध्यक्ष डॉ आनंद भूषण की अध्यक्षता में बनी कमेटी में शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के साथ अभिभावकों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. कमेटी ने देश के विभिन्न राज्यों के निजी स्कूलों के शुल्क निर्धारण को लेकर बनाये गये कानून का अध्ययन किया है. कमेटी के एक सदस्य सेवानिवृत्त भी हो गये, पर अब तक फाइनल रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है. रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद राज्य में निजी स्कूलों में फीस नियंत्रण व निर्धारण को लेकर कानून बनाया जाना है.
अपने स्तर से तय
करते हैं फीस
निजी स्कूलों में लिये जानेवाले शुल्क में एकरूपता नहीं है. स्कूल वार्षिक शुल्क से लेकर कंप्यूटर फीस भी अपने स्तर से तय करते हैं. राजधानी के कई निजी स्कूल ऐसे हैं, जहां अभी भी वार्षिक शुल्क एक से दो हजार रुपये तक है. ऐसे स्कूल शुल्क में काफी कम बढ़ोतरी करते हैं. इसके बादभी विद्यालय का संचालन बेहतर तरीके से होता है.

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