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बिहार की ही स्थानीय नीति यहां भी करें लागू
स्थानीयता नीति पर शैलेंद्र महतो ने सीएम को लिखा पत्र रांची : पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर स्थानीय नीति पर सलाह दी है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि स्थानीय नीति तय करते समय एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश का ध्यान रखें. उन्होंने […]
स्थानीयता नीति पर शैलेंद्र महतो ने सीएम को लिखा पत्र
रांची : पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर स्थानीय नीति पर सलाह दी है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि स्थानीय नीति तय करते समय एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश का ध्यान रखें. उन्होंने सीएम से अपील की है कि झारखंड में भी बिहार की ही स्थानीय नीति लागू की जाये.
श्री महतो ने पत्र में बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने नौ जनवरी 2002 को चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड और अन्य बनाम गुरमित सिंह (सीए. नं.-5834/1998) मामले में एक आदेश सुनाया था. इसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को दो राज्यों का स्थायी निवासी होने का अधिकार नहीं है. वह किसी एक ही राज्य का मूलवासी हो सकता है. इसका हवाला देते हुए श्री महतो ने कहा है कि झारखंड में बहुत से ऐसे लोग हैं जो रोटी-रोटी के लिए अपने मूल राज्य से आकर झारखंड में निवास करते हैं. उनका संबंध अपने मूल राज्य से भी बना हुआ है. ऐसी स्थिति में उन लोगों को झारखंड का मूलवासी या स्थायी निवासी कैसे माना जा सकता है.
डोमिसाइल का अर्थ है मूलवासी/स्थायी घर. झारखंड राज्य बने 14 साल हो गये हैं. कई सरकारें आयी और चली भी गयीं. डोमिसाइल पर कमेटियां बनीं, लेकिन स्थानीय नीति नहीं बन सकी. यह झारखंड के नेताओं की अकर्मण्यता और झारखंडियों के लिए अभिशाप है.
बिहार राज्य से झारखंड अलग हुआ और बिहार राज्य की तमाम नीतियों को यहां भी अंगीकार कर लिया गया, फिर बिहार की स्थानीय नीति को झारखंड में लागू करने में हिचकिचाहट क्यों है. बिहार में जमीन के कागजात (परचा/खतियान) के आधार पर स्थानीय निवासी होने का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है. झारखंड में भी बिहार की ही स्थानीय नीति को लागू करना चाहिए. श्री महतो ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि झारखंड सरकार 1995 को आधार बना कर डोमिसाइल नीति न बनाये.
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