शरीर को रंग देनेवाला मेलेनिन तत्व के खत्म होने के कारण सफेद दाग होता है. यह अनुवांशिक रोग है. यदि माता-पिता में सफेद दाग की शिकायत होती है, तो उनके बच्चों में इस रोग की संभावना सत्तर से 80 फीसदी होती है. इसमें खुजली अथवा जलन नहीं होती. सफेद दाग से पीडि़त व्यक्ति को प्लास्टिक के सामान छूने से परहेज करना चाहिए. इससे खुजली हो सकती है और सफेदीपन बढ़ जाता है. यदि समय पर इसका इलाज नहीं कराया जाता है तो यह आकार में बड़ा होने लगता है. इसके लिए जरूरी है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाये. खाने पीने में हरी सब्जी, मांस-मछली जैसे प्रोटीन तथा विटामिन से भरपूर आहार लें. नशे की वस्तुओं से सख्त परहेज करें. सफेद दाग का इलाज केमिकल ब्लीचिंग से किया जा सकता है. इसमें पूरे शरीर को एक रंग में लाया जाता है. इसके अलावा सेकाई करने से भी पुराने रंग को वापस लाने की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन इसके लिए शरीर पर हुए सफेद दाग के अनुपात को देखना जरूरी होता है.
अनुवांशिक होता है सफेद दाग की समस्या
शरीर को रंग देनेवाला मेलेनिन तत्व के खत्म होने के कारण सफेद दाग होता है. यह अनुवांशिक रोग है. यदि माता-पिता में सफेद दाग की शिकायत होती है, तो उनके बच्चों में इस रोग की संभावना सत्तर से 80 फीसदी होती है. इसमें खुजली अथवा जलन नहीं होती. सफेद दाग से पीडि़त व्यक्ति को प्लास्टिक […]
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