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दुलाल भुइयां पर एक और मुकदमे की तैयारी

रांची: प्रवर्तन निदेशालय(इडी) ने राज्य के पूर्व भू-राजस्व मंत्री दुलाल भुईयां के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है. इडी की गिरफ्त में फंसनेवाले वह राज्य के छठे पूर्व मंत्री होंगे. सीबीआइ द्वारा इस पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद इडी ने यह कदम उठाया है. इडी […]

रांची: प्रवर्तन निदेशालय(इडी) ने राज्य के पूर्व भू-राजस्व मंत्री दुलाल भुईयां के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है. इडी की गिरफ्त में फंसनेवाले वह राज्य के छठे पूर्व मंत्री होंगे. सीबीआइ द्वारा इस पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद इडी ने यह कदम उठाया है.

इडी स्वतंत्र रूप से किसी मामले में कार्रवाई करने के लिए सक्षम नहीं है. उसे किसी अन्य जांच एजेंसी द्वारा की गयी कार्रवाई के बाद ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई करने का अधिकार है. इसलिए इडी, मंत्रियों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए सीबीआइ की कार्रवाई का इंतजार करती है. पिछले दिनों सीबीआइ द्वारा दुलाल भुईयां के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने के मामले में आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद इडी ने इस सिलसिले में अपनी गतिविधियां तेज कर दी है. इडी ने दुलाल भुईयां से जुड़ी सूचनाएं और आवश्यक दस्तावेज की मांग की है. आवश्यक दस्तावेज मिलते ही इस पूर्व मंत्री के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जायेगा.

अन्य पर हो चुका है मुकदमा

इससे पहले तक सीबीआइ द्वारा की गयी कार्रवाई के मद्देनजर इडी ने पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व मंत्री कमलेश सिंह,भानु प्रताप शाही, एनोस एक्का, हरिनारायण राय और आइएएस अधिकारी प्रदीप कुमार के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया है. साथ ही प्रदीप कुमार को छोड़ कर सभी पूर्व मंत्रियों की संपत्ति जब्त (अटैच) कर ली है.

क्या है मामला

सीबीआइ ने पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां के खिलाफ अपनी आय से 1.03 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति अजिर्त करने का आरोप लगाते हुए आरोप पत्र दायर किया है. इसमें यह आरोप भी लगाया गया है कि इस पूर्व मंत्री ने अपनी काली कमाई को सही बताने के उद्देश्य से दो कंपनियों में अपनी भागीदारी बतायी और आयकर रिटर्न में अपनी आमदनी से संबंधित गलत जानकारी दी. पूर्व मंत्री ने अपने रिटर्न में मां पंचवटी इंटर प्राइजेज और मां कात्यायनी रोडवेज नामक संस्था में अपनी साङोदारी से 35 लाख रुपये कमाने का दावा किया था. हालांकि इन दोनों कंपनियों को वर्ष 2009 में ट्रेडिंग लाइसेंस मिला था. कंपनियों के नाम से वर्ष 2008 में दो अलग अलग बैंक खाते खोले गये थे. पूर्व मंत्री इन कंपनियों में वर्ष 2010 में साङोदार बने थे. इस तरह मंत्री ने अपनी काली कमाई को सही करार देने की कोशिश की थी.

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