रांची: अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में वर्ष 2012 में झारखंड पुलिस वर्ष 2008 से भी खराब स्थिति में पहुंच गयी है. वर्ष 2012 में अपराधियों को सजा दिलाने की दर 23.2 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2008 में यह दर 23.4 थी. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2011 में अपराधियों को सजा दिलाने की दर 29.9 प्रतिशत थी.
इस तरह वर्ष 2012 में पिछले वर्ष की तुलना में साढ़े छह प्रतिशत से अधिक की कमी आयी है, जबकि इसी दौरान आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मामलों में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2011 में 39503 आपराधिक मामले दर्ज किये गये थे और वर्ष 2012 में 40946 मामले.
कुल 14 43 मामले बढ़े हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक यह कमजोर पुलिसिंग का नतीजा है. राज्य के पूर्व पुलिस प्रमुखों का यह भी कहना है कि कोर्ट के प्रोसक्यूटर पर पुलिस का नियंत्रण नहीं होना भी इसके लिए जिम्मेदार है. प्रोसक्यूटर पर जिलों के उपायुक्तों का नियंत्रण होता है.