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सोना-चांदी और सैर-सपाटे का लालच

रांची: राज्य में चल रही चिट फंड कंपनियां गरीबों को लुभाने के नये-नये तरीके अपना रही हैं. एक से पांच साल तक पैसा जमा करने पर दाल, चावल और सोना चांदी तक देने का दावा ऐसी कंपनियां कर रही हैं. राज्य में चल रही चिट फंड कंपनियों की जांच में उक्त बातें सामने आयी हैं. […]

रांची: राज्य में चल रही चिट फंड कंपनियां गरीबों को लुभाने के नये-नये तरीके अपना रही हैं. एक से पांच साल तक पैसा जमा करने पर दाल, चावल और सोना चांदी तक देने का दावा ऐसी कंपनियां कर रही हैं. राज्य में चल रही चिट फंड कंपनियों की जांच में उक्त बातें सामने आयी हैं.

कोलकाता से करोड़ों रुपये लेकर गायब होनेवाली शारदा ग्रुप झारखंड में जमीन और मकान आदि के नाम पर किस्तों में पैसा ले रही है. ग्रीन रे इंटरनेशनल कंपनी की जांच में पाया गया है कि यह कंपनी 150 रुपये प्रतिदिन की दर से एक साल से दो साल तक लोगों से प्रति माह पैसा जमा कराती है. इसके बाद बाजार दर पर सोना-चांदी उपलब्ध कराती है.

जेवर नहीं लेनेवालों को 18 प्रतिशत सूद के साथ पैसा वापस करने का दावा करती है. मास इंफ्रा नामक कंपनी की कहानी भी अनोखी है. इस कंपनी ने कोलकाता की एचएम दीवान ज्वेलर्स के साथ एकरारनामा कर रखा है.

इसमें मास इंफ्रा को कोलकाता के इस जेवर व्यवसायी के पास ग्राहकों को भेजने का काम दिया गया है. भेजे गये ग्राहकों द्वारा जेवर खरीदने पर कुल खरीद का चार प्रतिशत कमीशन देने की बात है. इस एकरारनामे के आधार पर मास इंफ्रा नामक कंपनी झारखंड में लोगों से किस्त पर पैसे जमा ले रही है. अपना परिवार नामक कंपनी तो दाल-चावल सहित अन्य खाद्यान्न देने के नाम पर किस्तों में पैसा जमा करा रही है.

कंपनी का दावा है कि एक साल से तीन साल तक पैसा जमा कराने के बाद अनाज नहीं लेनेवालों को सूद के साथ पैसा वापस किया जाता है. इसी तरह बड़े-बड़े शहरों में होटल की सुविधा उपलब्ध कराने, सैर सपाटे कराने के नाम पर कई कंपनियां लोगों से किस्त में पैसा ले रही हैं. किस्त पूरा करने के बाद होटल की सुविधा नहीं लेने या सैर-सपाटे के लिए नहीं जाने पर सूद के साथ पैसा वापस करने का दावा कर रही है.

जी इंफ्रा नामक कंपनी मकान,फ्लैट,जमीन के नाम पर किस्तों में पैसा जमा ले रही है.सन साइन नामक कंपनी पेड़ लगाने के नाम पर किस्तों में पैसा जमा ले रही है. इनमें से किसी भी कंपनी के पास लोगों से किस्तों में पैसा जमा लेने के लिए रिजर्व बैंक और सेबी की अनुमति नहीं है. ये कंपनियां वास्तव में मनी सरकुलेशन स्कीम और कलेक्शन इंवेस्टमेंट स्कीम के तहत पैसा ले रही हैं, लेकिन कानून की नजर से बचने के लिए दाल,चावल, सोना-चांदी सहित अन्य चीजों बेचने का दावा कर रही हैं.

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