कुछ टिप्पणियां आहत करनेवालीन्यायापालिका, कार्यपालिका व विधायिका में तालमेल जरूरी एजेंसियां, नयी दिल्लीसुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने मंत्रालय के खिलाफ कुंभकर्ण जैसी नींद में होने संबंधी टिप्पणी किये जाने के कुछ दिन बाद पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अचानक की गयी टिप्पणियां सरकार को कभी-कभी आहत करती हैं. जावड़ेकर संसदीय कार्य राज्य मंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि यह कुछ हद तक अफसोसजनक था जब कोर्ट ने नेता प्रतिपक्ष मुद्दे पर सरकार से सवाल किया. उन्होंने जोर दिया कि देश के लोगों से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए लोकतंत्र के तीन स्तंभों न्यायापालिका, कार्यपालिका और विधायिका को संतुलित तरीके से काम करना चाहिए. जावड़ेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण के चौथे स्थापना दिवस समारोहों को संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई मुख्य अतिथि थे.गंगा नदी की सफाई से जुड़े विभिन्न मुद्दों के हल के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने कहा, ‘कभी-कभी अचानक ही टिप्पणी कर दी जाती है और इस बारे में न्यायपालिका को सोचना है. सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते पहले कुंभकर्ण जैसी नींद में सोने के लिए पर्यावरण मंत्रालय को झिड़की लगायी थी. विपक्ष के नेता के मुद्दे पर जावड़ेकर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के दर्जे के लिए दावा करने के लिए लोकसभा में 55 सांसदों की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘यह फैसला लोगों को करना है कि वे दलों को कितने सांसद देते हैं. अगर लोगों ने नहीं दिये हैं, तो हम क्या कर सकते हैं.’ इन मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने के पहले जावड़ेकर ने कहा कि उन्होंने न्यायमूर्ति गोगोई से पूछा था कि क्या वह यह टिप्पणी कर सकते हैं, क्योंकि वह आश्वस्त होना चाहते थे कि यह अदालत की अवमानना नहीं होगी. कार्यक्रम में मौजूद लोगों में बड़ी संख्या विधि छात्रों की थी.
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सुप्रीम कोर्ट की कुंभकर्णवाली नींद पर बोले जावड़ेकर
कुछ टिप्पणियां आहत करनेवालीन्यायापालिका, कार्यपालिका व विधायिका में तालमेल जरूरी एजेंसियां, नयी दिल्लीसुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने मंत्रालय के खिलाफ कुंभकर्ण जैसी नींद में होने संबंधी टिप्पणी किये जाने के कुछ दिन बाद पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अचानक की गयी टिप्पणियां सरकार को कभी-कभी आहत करती हैं. जावड़ेकर […]
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