कश्मीर की बाढ़ से बच कर आये रांची के माधव लाखोटिया ने सुनायी आपबीतीमाधव लाखोटियासेना के जवानों का हौसला व केंद्र सरकार के चुस्त प्रशासन के कारण आज हम लोग सही सलामत रांची पहुंच पाये हैं. सात दिनों के मशक्कत के बाद कश्मीर की भयंकर बाढ़ से बच कर हम आज अपने घर में सुरक्षित हैं. कश्मीर में बाढ़ के जो हालात हैं, वह काफी डरावने हैं. अभी भी कई वहां मदद के इंतजार में हैं. मैं अपनी पत्नी प्रेम लता लाखोटिया के साथ एक सिंतबर को श्रीनगर पहुंचा. वहां से गुलमर्ग के लिए निकले. तीन सितंबर को पहलगांव पहुंचे. वहां हमें बारिश मिली. इसके अगले दिन वहां घूमने का प्रोग्राम था, लेकिन सुबह से ही बहुत तेज बारिश हो रही थी. इस वजह से होटल से कहीं निकल नहीं पाये. पांच सिंतबर को श्रीनगर निकलना था, लेकिन वहां ज्यादा पानी भरे होने के कारण कार नहीं आ पायी. हमारे टूर ऑपरेटर ने पहलगांव से ही एक कार उपलब्ध करा दी. पहलगांव से जब हम निकले तो अनंतनाग पहुंचते-पहुंचते सड़क पर एक फीट तक पानी मिला. वहां से आगे बढ़ने पर अवंतीपुरा में पानी का स्तर दो फीट पहुंच गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि झेलम नदी में पानी का स्तर बढ़ गया है. अवंतीपुरा से पांच किलोमीटर आगे निकलने पर बाढ़ का सही रूप देखने को मिला. हमारी कार से थोड़ी आगे एक सेंट्रो कार ट्रक के पीछे चल रही थी. पलक झपकते ही पानी का स्तर 10 फीट तक पहुंच गया और सेंट्रो कार अचानक गायब हो गयी. यह देख कर हमारी रूह कांप गयी. समझ में नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या करें. तभी एक ट्रक में नावें भर कर जाता हुआ मिलिटरी का ट्रक दिखा. उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि वापस पहलगांव लौट जायें. आगे स्थिति खतरनाक है. कार को पहलगांव की ओर मुड़ाया तो पता चला कि अनंतनाग में छह फीट तक पानी भर गया है. ऊपर वाले की कृपा रही कि पहलगांव का ड्राइवर होने के कारण उसे दूसरा और सुरक्षित रास्ता पता था. उसने हमें पांच घंटे अपने होटल पहुंचा दिया. छह सितंबर को सुबह टीवी पर खबर देखी तो पता चला कि पूरे कश्मीर में पांच से छह फीट तक पानी चढ़ आया है. आठ सितंबर तक होटलों में खाना समाप्त हो चुका था. बिजली नहीं होने के कारण मोबाइल बंद हो चुका था. हम लोगों सेना के जवानों से संपर्क सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि पहले जिंदगी के लड़ रहे लोगों को बचाया जायेगा. इसके बाद बाकी लोगों को बचाया जायेगा. नौ सितंबर को हमें बताया कि 12 बजे हेलीकॉप्टर से बचाव अभियान शुरू होगा. सभी अपना पंजीयन करा लें. इसी दिन रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ. पहलगांव से अवंतीपुरा तक सेना के हेलीकॉप्टर ने लगातार ट्रिप कर लोगों को पहुंचाया. वहां लोगों के लिए खाना-पीना और चाय की व्यवस्था की गयी थी. लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. अगले दिन हमारी बारी आयी. एयरफोर्स के विमान से एक बार 52 लोग व उनके सामानों को पहुंचाया जा रहा था. अवंतीपुरा से एयरफोर्स के बड़े विमान ने हमें जम्मू तक पहुंचाया. तब तक रात के साढ़े 11 बज चुके थे. सभी लोगों के लिए वहां ठहरने और खाने पीने का इंतजाम था. 11 सितंबर (गुरुवार) को फ्लाइट से हम दिल्ली पहुंचे. फिर वहां से विमान से रांची आये तो घर वालों ने राहत की सांस ली.
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आंखों के सामने गायब हो गयी सेंट्रोे कार
कश्मीर की बाढ़ से बच कर आये रांची के माधव लाखोटिया ने सुनायी आपबीतीमाधव लाखोटियासेना के जवानों का हौसला व केंद्र सरकार के चुस्त प्रशासन के कारण आज हम लोग सही सलामत रांची पहुंच पाये हैं. सात दिनों के मशक्कत के बाद कश्मीर की भयंकर बाढ़ से बच कर हम आज अपने घर में सुरक्षित […]
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