सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैबिनेट की बैठक में हुआ निर्णयरांची . कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को तदर्थ रूप (एडहॉक) में बहाल इंजीनियरों को नियमित करने का फैसला लिया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है. इन अभियंताओं की नियुक्ति एकीकृत बिहार के समय में पहले कनीय अभियंता फिर सहायक अभियंता के पद पर हुई थी. झारखंड बनने के बाद 42 अभियंताओं की सेवा झारखंड को मिली थी. फिलहाल 25 इंजीनियर ही बचे हैं. बाकी इंजीनियर रिटायर हो गये हैं. दो की सेवा बिहार चली गयी, वहीं एक की मृत्यु भी हो गयी है. जानकारी के मुताबिक, पूर्व में राज्य सरकार ने इन अभियंताओं को बरखास्त कर दिया था. कैबिनेट की बैठक में इन अभियंताओं को बरखास्त करने का यह फैसला लिया गया था, लेकिन सरकार के आदेश के खिलाफ अभियंता हाइकोर्ट में गये थे. हाइकोर्ट ने सरकार की बरखास्तगी आदेश को यह कह कर रद्द कर दिया था कि इसमें आवश्यक प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी है. इसके बाद सरकार ने बरखास्तगी से पूर्व की प्रक्रिया पूरी की और दोबारा बरखास्त किया. तदर्थ अभियंताओं ने इसे न्यायालय में चुनौती दी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने इन तदर्थ अभियंताओं की सेवा नियमित करने सहित सारी सुविधाएं देने का आदेश दिया था. इसके आलोक में पथ निर्माण विभाग ने उनकी सेवा नियमित करने का प्रस्ताव तैयार किया, जिसे मंत्रिपरिषद की बैठक में स्वीकृति दी गयी.
एडहॉक इंजीनियरों को नियमित करने का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैबिनेट की बैठक में हुआ निर्णयरांची . कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को तदर्थ रूप (एडहॉक) में बहाल इंजीनियरों को नियमित करने का फैसला लिया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है. इन अभियंताओं की नियुक्ति एकीकृत बिहार के समय में पहले कनीय […]
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