दुख-दर्द, अभाव के सिवाय कुछ न मिला बिरहोरी पतरा टोली के लोगों को.बारियातु. केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा वैसे तो दलितांे के उत्थान के लिए दावे- प्रतिदावे भले ही किये जाते हों, परंतु हकीकत इन दावों से अलहदा है. बारियातु प्रखंड मुख्यालय से सटी हुई बिरहोरी पतरा टोली की स्थिति इन दावों को झुठलाती हुई नजर आती है. वहां 100 से अधिक दलित परिवारों को न भर पेट भोजन मिलता है और न ही परिवार के पालन पोषण के लिए कोई रोजगार उपलब्ध है. सुविधाहीन इस गांव में बिजली, पानी, सड़क, और शिक्षा की स्थिति बदतर है. गरीबी के मार झेल रहे बूढ़े तन पर ढ़कने के लिए प्रर्याप्त कपड़ा भी इन वृद्धों को नसीब नहीं है. पूछने पर दुखनी ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि – हम तो मरे ला जिंदा हिइय़़़़़ गरीबी का दंश झेल रहे इन परिवारांे की अब तक सुधि नहीं ली गयी है. सैकड़ांे वृद्ध महिला- पुरुष को न ही वृद्धापेंशन और न ही विधवा पेंशन मिल पा रही है. कच्चे घरों में अपनी जिंदगी काट रहे इन गरीबों को आज तक इंदिरा आवास भी मयस्सर नहीं हुआ है. इनके हिस्से का आनाज भी बिचौलियों तक ही सिमट कर रह जा रहा है. भुइयां बहुल इस गांवों में 100 से अधिक परिवार रहते हैं. पूछने पर सुरजा भुइयंा ने बताया कि सरकारी सुविधा का लाभ यहां के लोगांे को नहीं मिल पाता है. सारा लाभ बिचौलिये खा जाते हैं. कुछ ऐसा ही दर्द छटु भुइयां, सारदा देवी, आरती देवी, गंदौलिया देवी, कैलाश भुइयां आदि ने बयान किया. इस संबंध में जब जिला परिषद सदस्या रिना देवी से संपर्क किया गया, तो उन्हांेने ने कहा कि इन ग्रामीणांे की समस्याओं से हम बखूबी अवगत हैं. जिले के उच्चाधिकारियों के साथ मिल बैठ कर इनकी समस्याओं का समाधान का प्रयास करूंगी.
हम को मरे ला जिंदा हिइय बाबू….
दुख-दर्द, अभाव के सिवाय कुछ न मिला बिरहोरी पतरा टोली के लोगों को.बारियातु. केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा वैसे तो दलितांे के उत्थान के लिए दावे- प्रतिदावे भले ही किये जाते हों, परंतु हकीकत इन दावों से अलहदा है. बारियातु प्रखंड मुख्यालय से सटी हुई बिरहोरी पतरा टोली की स्थिति इन दावों को झुठलाती हुई […]
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