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केंद्र सरकार निरंजना नदी प्राधिकार बनाये : भंते तिस्सावरे

फोटो ट्रैक पर हैउद्गम स्थल झारखंड के चतरा जिले में120 किमी लंबी है नदीनदी के तट पर गया व बोध गया अवस्थितवरीय संवाददाता, रांचीबिहार और झारखंड की निरंजना नदी को बचाने के लिए कई संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंगा नदी प्राधिकरण की तर्ज पर प्राधिकार गठित करने का अनुरोध किया है. बुद्ध अवशेष […]

फोटो ट्रैक पर हैउद्गम स्थल झारखंड के चतरा जिले में120 किमी लंबी है नदीनदी के तट पर गया व बोध गया अवस्थितवरीय संवाददाता, रांचीबिहार और झारखंड की निरंजना नदी को बचाने के लिए कई संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंगा नदी प्राधिकरण की तर्ज पर प्राधिकार गठित करने का अनुरोध किया है. बुद्ध अवशेष बचाओ अभियान के संगठक भंते तिस्सावरो, सचिव सुभाष लोखंडे, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ अमरदीप कुमार, गांधीवादी नेता सुरेंद्र कुमार व नीरज पटेल, रचनात्मक कांग्रेस पार्टी के बालक राम पटेल और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस दिशा में जन-जागरण अभियान शुरू किया है. भंते तिस्सावरो के अनुसार नदी के तट पर गया शहर बसा हुआ है. यहां पवित्र शहर बोध गया भी अवस्थित है. प्राधिकार बनाये जाने पर झारखंड के चतरा गांव के 40 गांव लाभान्वित होंगे और तीन लाख एकड़ भूमि को पानी मिल पायेगा. साथ ही मत्स्यपालन और अन्य रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. इस अभियान की मुहिम भंते तिस्सावरो ने शुरू की है. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई अन्य को पत्र भी लिखा था. प्राधिकार गठित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को भी 12 जून को पत्र लिखा गया है. इसकी प्रति केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती को दी गयी है. सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कामर्स गया ने भी प्राधिकार के निर्माण पर अपनी सहमति दी है. चतरा जिले में है निरंजना नदी का उद्गम निरंजना नदी (अब फल्गू नदी) का उद्गम स्थल चतरा जिला है. यहां से नदी हंटरगंज, डोभी, बोधगया और गया तक जाती है. यह 120 किलोमीटर लंबी है. यहां प्रतिवर्ष 20 करोड़ हिंदू धर्मावलंबी पिंडदान करने के लिए आते हैं. पितृपक्ष में फल्गू नदी के तट पर लोग अपने पितरों कोकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. भंते तिस्सावरो के अनुसार फल्गू नदी काफी प्रदूषित हो गयी है. यहां पर हिंदुओं के लिए कोई सुविधा भी नहीं है. अब तो नदी पूरी तरह सुख चूकी है. नाले का पानी नदी तक पहुंचता है. यहीं पर बोधगया भी है. जो बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी काफी मायने रखता है. अब बौद्ध धर्म के लोग निरंजना नदी की तरफ जाते भी नहीं हैं. नदी की स्थिति पर बौद्ध धर्मावलंबी भी काफी दुखी हैं. 40 से अधिक गांव हैं फल्गू नदी के आसपासफल्गू नदी के उद्गम स्थल से लेकर गया तक 40 से अधिक गांव हैं, जो पूरी तरह अविकसित हैं. यहां पर सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है. पर्यावरण का भी ह्रास हो रहा है. अब निरंजना नदी बंजर भूमि की तरह हो गयी है. इसे विकसित करने के लिए वनरोपण करने, पार्किंग स्थल बनाने और नदी तट सुंदर बनाने की आवश्यकता है. सांसद हरि मांझी ने नदी के दोनों तटों पर सड़क तथा पेड़ लगाने का आग्रह किया है.

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