80 वर्ष के बुजुर्ग चुटिया के रामप्रताप साहु को अपने इस कारनामे पर है गर्वसंजय, रांचीचुटिया के पुराने बाशिंदे हैं राम प्रताप साहु. करीब 80 वर्ष के इस बुजुर्ग को गर्व है कि उन्होंने एक अंगरेज को उसके चेहरे पर जोरदार घूंसा मारा था. यही नहीं, इसके बाद हुई कुश्ती में उसे पटका भी. देश की आजादी में इस घूंसे की कोई भूमिका रही या नहीं, यह कहना तो मुश्किल है; पर राम प्रताप इसे भारत वासियों की अस्मिता से जोड़ते हैं. दरअसल जिस अंगरेज पर उन्होंने हाथ चलाया, उसने राम प्रताप को ब्लडीफूल बोल दिया था. यह 30 के दशक की बात रही होगी. पेशे से सब्जी विक्रेता राम प्रताप नामकुम स्थित अंगरेजी सेना के कैंप में सब्जियां पहुंचाने जाते थे. अंगरेज खुद भी चुटिया स्थित उनके घर पर अपने घोड़ों के लिए गाजर लेने आते थे. सब्जियां पहुंचाने के क्रम में ही ब्लडीफुलवाली बात हुई थी. क्यों? यह उन्हें याद नहीं है. बकौल राम प्रताप सेना के कमांडेंट ने उन्हें घूंसा मारते देख लिया था. उस दिन उसने अपने अंगरेज सिपाही व राम प्रताप दोनों को एक-एक गिलास दूध पिलाया. फिर कहा कि अब मेरे सामने तुम दोनों की कुश्ती होगी. राम प्रताप पूरे लय से यह बताते हैं कि कुश्ती के दौरान उन्होंने अंगरेज के पेट के नीचे अपना सिर घुसा कर उसे पटक दिया था. इस घटना के बाद राम प्रताप को कमांडेट से बधाई मिली व सेना ज्वाइन करने का न्योता भी मिला. राम प्रताप ने कहा कि उनके मां-बाप ने उन्हें सेना में भरती नहीं होने दिया. अंगरेजों पर हाथ साफ करनेवाले राम प्रताप को अंगरेजी जमाना ही अच्छा लगता था. कहते हैं आबादी कम थी, जीवन में सुकून था और आबोहवा अच्छी थी. अब आजादी तो मिल गयी, पर ये यह सब छिन गये हैं.
अंगरेज को एक घंूसा मारा, फिर पटका भी…..दो तसवीर है
80 वर्ष के बुजुर्ग चुटिया के रामप्रताप साहु को अपने इस कारनामे पर है गर्वसंजय, रांचीचुटिया के पुराने बाशिंदे हैं राम प्रताप साहु. करीब 80 वर्ष के इस बुजुर्ग को गर्व है कि उन्होंने एक अंगरेज को उसके चेहरे पर जोरदार घूंसा मारा था. यही नहीं, इसके बाद हुई कुश्ती में उसे पटका भी. देश […]
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