रांची : भारत सरकार के खान सुरक्षा महानिदेशक आर सुब्रमण्यम ने कहा कि सेफ्टी मैनेजमेंट प्लान (एसएमपी) केवल कागजों पर नहीं दिखना चाहिए. यह कार्य स्थल पर भी दिखना चाहिए. कोई भी एजेंसी जब चाहे इसका निरीक्षण कर सके. इससे खानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े नहीं होंगे. कम से कम घटनाएं होंगी. 2000 में खान सुरक्षा प्लान बनाने की बात शुरू हुई थी, लेकिन इस पर अब तक कोई विशेष पहल नहीं हो पायी है. श्री सुब्रमण्यम मंगलवार को होटल रेडिसन ब्लू में एसएमपी पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे. इसमें देश की 40 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं.
श्री सुब्रमण्यम ने कहा कि खान सुरक्षा में काम करनेवाले लोगों की कार्य संस्कृति में बदलाव की जरूरत है. यह अभी बहुत नहीं हो पाया है. इसके लिए खान सुरक्षा पर काम करने वाले सभी स्टेक होल्डर्स को एक मंच पर लाना होगा. दुर्घटना होने के बाद किये जानेवाले काम से जरूरी है, उसको रोकने की कोशिश करना. डीजीएमएस इससे जुड़े लोगों की आंख खोलना चाहता है. हम चाहते हैं कि खान दुर्घटना रोकने के लिए मिशन मोड में काम हो.
सुरक्षा पहले, कोयला बाद में : एनटीपीसी के निदेशक (वाणिज्य) एके गुप्ता ने कहा कि कोयला हमारी जरूरत है. इसके बिना ऊर्जा की जरूरत पूरी नहीं हो सकती है. लेकिन, एक बात का ध्यान जरूरी है कि सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसके बाद ही उत्पादन के मुद्दे पर सोचना चाहिए. सुरक्षा मानकों को पूरा किये बिना उत्पादन ठीक नहीं होता है. इस मौके पर उप महानिदेशक रमेश कुमार ने खान सुरक्षा के लिए तैयार चेक लिस्ट के बारे में जानकारी दी. कहा कि इसकी अनदेखी कभी भी नुकसानदायक हो सकती है. धन्यवाद ज्ञापन सैफुल्लाह अंसारी ने किया.